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________________ [22] सेठियाजैनग्रंथमाला जुवा खेलना मांस मद, वेश्या व्यसन शिकार / चोरी पर रमणी रमण, सातों व्यसन निवार // प्रश्नावली कुत्र्यसन किसे कहते हैं ? कुत्र्यसन कितने होते है ? सातो के स्वरूप बताओ ? नीचे का दोहा पढ़ो ? पाठ नववाँ श्रेष्ठ मनुष्य पर दारा की और जो न भ्रम से भी दृष्टि उठाते हैं। शत्रु समक्ष न पीठ दिखाते चाहे कट मर जाते हैं / कभी दीन जन जिनके घर से विमुख न होकर जाते हैं। वीर पुरुष इस धरणी तल पर धन्य वही कहलाते हैं। जननी जन्मभूमि हित अपना तन मन अर्पण करते हैं। न्याय-विहित सत्कर्म मार्ग में तनिकन मन में डरते हैं। जाति देश दुखियों के दुख के सागर में नित तरते हैं। अचला-रत्न वही निज यशसे जगको उज्वल करते हैं। पहले मन में निर्णय करके जिसे शुरू कर देते हैं। फिर उसको मरके या पूरा करके ही दम लेते हैं /
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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