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________________ नीति-शिक्षा-संग्रह मजा और वीर्य, ये सात धातुएँ बनती हैं ! इन ही से हमारा शरीर ठहरा हुआ है / इन सातों धातुओं में वीर्य प्रधान है, वीर्य ही हमारी दिमागी ताकत है, वीर्य के बल से स्मरण - शक्ति रहती है अर्थात् वीर्य की रक्षा करने से हमें असंख्य बातें याद रहती हैं, वीर्य- बल से हमारा शरीर सुदृढ़ बलवान रहता है, और बुद्धि का विकास होता है, वीर्य ही सब सुखों का और आरोग्य का मूल कारण है; वीर्य ही इस शरीर रूपी नगर का राजा है,तथा इस नौ दाजे वाले शरीरकिले में रोग- शत्रुओं से हमारी रक्षा करता है जब तक यह वीर्यराजा बलवान रहता है. तब तक कोई रोग शत्रु पास तक नहीं फटकने पाते / इस के बलसे ही, अनेक कलाएँ सीख सकते और गंभीर विषयों का अध्ययन कर सकते तथा आविष्कार करसकते हैं / इस पृथ्वी पर जितने विद्वान बलवान् तेजस्वी, आविष्कारक और वीर हुए हैं, वे केवल वीर्य- क्षिा के प्रताप से ही हुए हैं। जैसे तिलों में तेल, दही में घी, ईख में रस रहता है, वैसे ही सम्पूर्ण शरीर और चमड़े में वीर्य रहता है / जिस तरह गीले कपड़े से पा. नी गिरता है, उसी तरह संयोग, चेष्टा, संकल्प और पीड़न से वीर्य अपने स्थानों से गिरता है। जो वीर्य हमारी विद्या, बुद्धि, तन्दुरुस्ती का मूल- आधार है, उस की हर रह रक्षा करना मनुष्य मात्र का मुख्य कर्तव्य है / 56 साना भी स्वास्थ्य रक्षा का आवश्यक नियम है। सोने के लिए सब से अच्छा समय रात है। रात को दस बजे सोकर पा
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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