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________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला समीप--पास तोय- पानी अपावन-अपवित्र भवन-~महल,मकान लवण-~नमक कंचन--सोना ठौर- जगह ढाहत--गिराने में पाठ 24 वा बन्दर की चतुराई। . किसी नगर में एक राजा था। उसका नाम चंद्र था। राजा चंद्र ने अपने लड़कों के खेल के लिए बहुत से बन्दर पाले / उनमें एक बूढ़ा बन्दर था। वह बहुत चतुर था। उसी राजा ने दो मेंढ़े छोटे छोटे बच्चों के बैठने के लिए पाले थे / उन दो मेंढों में से एक मेंढा, प्रतिदिन रसोईघर में जाता और वासनों में मुँह डाला करता। वह रसोइया की मार खाये विना कभी बाहर निकलता ही न था। यह सब हाल उस बूढ़े बन्दर ने देखा और अपने साथियों से कहा-- रसोइया और मेंढ़े के झगड़े में हम लोग मारे जावेंगे / क्यों कि किसी समय यदि रसोइया को और कुछ न मिला,
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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