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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा दोनों में लड़ाई होने लगी। सेठजी मोहर लेकर नौ दो ग्यारह हुए। पालको! बेईमानी से पैदा किया हुआ पैसा ज्यादा दिन नहीं ठहरता / वह तो चला ही जाता है,साथ में गांठ का भी ले जाता है। धन कमाय अन्याय का, दस हि वरस ठहराय / रहे कदाषोडस बरस, तो समूल नसि जाय // 1 // पाठ 20 वा कर्तव्य / __ लड़को ! तुम पहले पढ़ चुके हो कि तीर्थंकर कठिन तपस्या करके सर्वज्ञ हो जाते हैं / जब वे सर्वज्ञ अर्थात् सब पदार्थों को एक साथ जानने वाले हो जाते हैं तब वे उपदेश देते हैं। आज हम उस में से कुछ बातें बताते हैं / जो गृहस्थों का धर्म होता है वह अणुव्रत कहलाता है / अणुव्रत पांच होते हैं 1 अहिंसाणुव्रत(स्थूल प्राणातिपात विरमणव्रत)त्रस जीवों की हिंसा का त्याग करना और विना
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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