________________ (2) (3) हम तेरे पैरों पड़ते हैं प्रापस में न कभी लड़ते हैं तुम रखवाले एक हमारे महावीर भगवान् हमारे // (4) तुम हो जग से जुदे, निराले ठीक पंथ बतलाने वाले / भगवन् ! मेरे दिल में आओ मेरे मन को साफ बनाओ। MANIK ARCHITE LYRITAM पाठ २रा मिले हुए अक्षर / अक्षर दो तरह के होते हैं / एक वे, जिनके धागे / ' ऐसी सीधी पाई बनी रहती है। दूसरे वे जिनके मागे पाई नहीं होती। जैसे पाई धाले-ख ग घ च ज ण त थ ध न आदि। विना पाई के-क छ झ ट ठ ढ 6 मादि।