________________ नांदिया पाठ सातवा एक कौआ था। वह बहुत चालाक था। लोगों के आंगन की चीजें उठा ले जाना था। कभी कभी मौका पाकर, घर में घुस जाता और चीजों को फैला दिया करता था। उस से सब लोग बड़े दुखी थे / वह एक दिन किसी मकान में घुस गया / उसमें खीर पक रही थी। कौआ सोचने लगा- आज खूब बनी / यह सोच कर वह खीर की तपेली के पास गया और उसमें अपनी चोंच डाल दी। खीर बहुत गरम थी। उसकी चोंच जल गई और तज भाफ से आंखें फूट गईं।