________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला - वंश होकर मात्रा से अधिक मत खाओ, . क्योंकि यह पाचन शक्ति को विगाड़ती है। मन्दाग्नि वाले के लिए तो भयंकर बीमारियों को बुलाना है। 314 प्राधा पेट अन्न से और चौथाई जल से भरो : तथा चौथाई हवा के लिए खाली रक्खो, ऐसा * करने से शरीर स्वस्थ रहता है। 315 विद्या प्रात्म-ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है। GESERSEEEEEEEEER इति शुभम् "REEEEEEEE ; पुस्तक मिलने का पता... श्री अगरचन्द भैरोंदान सेठिया जैन शास्त्र भण्डार पीकानेर (राजपूताना)