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________________ [10] सेठिया जैन ग्रन्थमाला 68 कपटी के आडम्बर का विश्वास न करना चाहिए। 99 अत्यन्त कष्ट आ पड़ने पर भी प्रात्मघात न करना चाहिए। 100 हंसी करते हुए किसी पर क्रोध न करना ... चाहिए। 101 यदि क्रोधवश होकर कोइ कटुक वचन आ कर कहे तो भी न्यायमार्ग न छोडना चाहिए। 102 माता पिता गुरु सेठ स्वामी और राजा के अ वगुण (दोष) दूसरे के सामने न कहना चाहिए। 103 स्नेह-राग समान दूसरा बन्धन, और प्राणी की हिंसा के समान धड़ा कोई पाप नहीं है / 104 क्रोधी कृपण पालसी कुव्यसनी की संगति न करनी चाहिए। 105 दूसरे के अवगुणों की निन्दा न करके उसके गुण ही ग्रहण करने चाहिए। .... 106 अपनी या अपने इष्ट मित्र की गुप्त बात प्रगट न करनी चाहिए। 107 मन की बात क्षुद्र मनुष्य, मूर्ख, स्त्री और पा. गल को न कहनी चाहिए।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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