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________________ सेठियाजनप्रन्थमाला 67 जब तक मनुष्य अपनी समझ का दूसरे की समझ से मिलान नहीं करता है, तब तक उसे अपनी समझ का दोष नहीं जान पड़ता / जैसे हाथी जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता, तब तक पहाड़ को अपने से बड़ा नहीं समझता / 68 जिन के हृदय विशाल होते हैं वे छोटे होकर भी बड़े 2 काम कर निकलते हैं / जैसे आँख की पुतली का तिल बहुत छोटा होने पर भी पर्वत को अपने अन्दर दिखा देता है। 66 बड़े लोगों की संगति करने से छोटा आदमी भी बड़ी जगह पहुँच जाता है। जैसे पान के साथ ढाक का पत्ता राजाओं के हाथ तक जा पहुँचता है। 70 सीधी चाल चलने से मनुष्य ऊँचे पद पर पहुँचता है / जैसे शतरंज का पियादा सीधी चाल चलते चलते वजीर हो जाता है / ___71 अच्छी बुरी प्रकृतिया कभी अपना स्वभाव नहीं बदलती / जैसे गाय घास खाती है और दूध देती है सांप दूध पीता है और जहर उगलता है। ___72 किसी को छोटा समझकर घृणा न करना चाहिए कौन जाने, उसमें कोई बड़ा काम करने का गुण हो? / जैसे बड़ का बीज बहुत छोटा होकर भी बहुत बड़ा वृक्ष उत्पन्न करता है / 73 संसार की वस्तुएँ जीवों को पूर्वकृत कर्म के अनुसार
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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