________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला 37 परमात्मा का ध्यान- चिन्तन ऐसे एकान्त स्थान में करना चाहिये, जहां किसी का आना जाना न हो / बहुत से लोग नदी तालाब और कुएँ के घाट पर सन्ध्योपासनादि करने लगते हैं। बहुत से लोग ऐसे मन्दिरों या स्थानों में-जहां पुरुष स्त्रियों का अक्सर भाना जाना बना रहता है- बगुले का सा ध्यान लगाये रहते हैं यह ठीक नहीं। ऐसे स्थान में लोग यदि सच्चे दिल से ईश्वर का ध्यान करें तो भी उन्हें ढोंगी-पाखण्डी कहने लगते हैं। 38 पान का पीक या तम्बाकू का पीक या खखार दीवारों पर या कोने में किवाड़ों के पीछे या मन चाहे जहां नहीं थूक देना चाहिये, खास कर के दूसरे के घर में इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिये / 36 अगर कहीं स्त्रियाँ बैठी हों या बात चीत कर रही हों, तो वहां चुपचाप चला जाना ठीक नहीं है। ऐसा कोई शब्द करके बढ़ो, जिससे कि उन्हें तुम्हारा पाना पहले ही मालूम हो जावे / 40 जहां तक बन सके पुरुषों को स्त्रियों के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिये / यदि किसी खास कारण से बातचीत करनी पड़े तो बात चीत करते समय अपनी दृष्टि नीची रखो,अगर आवश्यकता हो तो उन की ओर देखकर फिर नीची नजर कर लो।। - 41 जहां लोगों का ज्यादा घूमना फिरना हो, वहां पर मल, मूत्र थूक, नाक का मल, कफ वगैरह घिनौनी चीजें डालना ठीक नहीं है / ऐसी चीजें एकान्त में जन्तु रहित स्थान में डालना चाहिये,