________________ (4) सेठियाजैनग्रन्थमाला 3 निर्ल न होना, 4. पूरी मित्रता न होने पर पूर्ण विश्वास करना। १७चार प्रकृति पुरुष को प्रतिष्टित करती हैं.-१ गुप्त बात किसी से न कहना, 2 परधन और परदारा पर दृष्टि न देना, 3 गुरु लोगों से मान न चाहना, 4 जिह्वा से दुर्वचन तथा ग्रामीण वचन न बोलना। १८चार प्रकृति कठोर हृदय की हैं--१ मित्रों को दुःख देना, 2 विना अधिकार प्रवेश करना, 3 विना बुलाये बोलना, 4 जो अपना हाल नहीं जानता, उसके घर जाकर सब घर का हाल कहते रहना / १६चार प्रकृति अज्ञानता की हैं-- 1 साधुओं और परदेशियों से हँसी करना, 2 सभा में अनधिकार बैठना, 3 वृथा अपवाद करने में तत्पर रहना, 4 छोटे बड़े का ध्यान न करके मनमाना बकना। 20 चार प्रकृति प्रतिष्ठित पुरुषों की हैं--१ बाहर के आदमी को कभी भीतर का न होने देना, 2 किसी से किसी तरह की चाह न करना. 3 रिश्तेदार और धनियों के घर में कम जाना, 4 दरिद्र घर की सहायता करना / २१सब दानों में विद्या दान श्रेष्ठ है। किसी मनुष्य को पांच सात दिन भोजन कराने के बाद भी उसे भूख अवश्य लगेगी /