________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (33) ख्याल रखना चाहिए। (24) बालक के हृदय पटल पर उपदेश का उतना प्रभाव नहीं पड़ता, जितना कि हमारे आचरण का पड़ता है। इसलिए जिसे अपने आचरण का संस्कार उस के स्वच्छ हृदय पर डालना है, उसे अपना आचरण उच्च और पवित्र बनाना चाहिए। (२५)मनुष्य का असली मनुष्यत्व सदाचार है, धनहीन सदाचारी, दुश्चरित्र बड़े से बड़े राजा से भी उत्तम है। सदाचारी से दूसरे लाभ उठा सकते हैं; और दुराचारी से हानि / 26 जो मनुष्य निष्कलङ्क और निर्दोष होता है, उसका अन्त:करण पवित्र और चित्त निर्मल रहता है, ऐसी अवस्था में कारावास भी अच्छा है, लेकिन चिन्ता में ग्रस्त रहकर राज्य का भोगना भी निकम्मा है। 27 अन्तःकरण की शुद्धि, बुद्धिबल, साहस और विनय इन चारों से कार्य की मिद्धि होती है / 28 मूर्व शिष्य को शिक्षा देने से, दुष्ट स्त्री का पालन पोषण करने से, दुःखितों के साथ व्यवहार करने से, पण्डित पुरुष भी दुःख पाते हैं। 26 दुष्ट स्त्री. शह मित्र, सामने बोलने वाला नौकर,और सर्प वाले घर में निवास, ये चार मृत्यु स्वरूप हैं, इस में बिलकुल सन्देह नहीं।