________________ (24) सेठियाजैनग्रन्थमाला में गुण देखता है,उसे भारी आपत्ति आ जाने पर भी सुख-शान्ति और भाश्वासन मिलता ही रहता है। हँसमुख-स्वभाव और हरएक कार्यके भविष्यको उज्ज्वल तथा आशापूर्ण दृष्टि से देखने की आदत जीवन के सुख का मुख्य साधन है। 87 शरीर और मन दोनों का नीरोग रहना सुख की उच्च अवस्था मानी गई है / लेकिन मन की नीरोगता प्रायः शरीर की नीरोगता पर अवलम्बित है। 88 जो रिवाज़ प्रजा को सुख तथा लाभ पहुँचाने वाले हैं, हानि कारक नहीं हैं / उन को उत्तेजना देने के लिए जिस देश में सत्ता तथा शक्ति का उपयोग किया जाता है, उस देशको भाग्यशाली समझना चाहिए। 89 जैसे उगते हुए वृक्ष को चाहे जैसा नवा सकते हैं, वैसे ही कोमल बाल्य अवस्था में जैसी चाहे वैसी आदत डाल सकते 60 पहिली अवस्था की छोटी 2 भूलें परिणाम में भारी नुकसान करती हैं। 61 प्रजा के आरोग्य मुख और विज्ञान की वृद्धि होने से ही देश का कल्याण है। 62 हमेशा किसी न किसी उपयोगी काम धन्धे में लगे रहने की भादत स्त्री पुरुष दोनों को सुख शान्ति के लिए परमावश्यक है।