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(३१) ॥ सत्तावासमुं योनी द्वार कहे छे ॥ . . सात लाख पृथ्वी काय, सात लाख अप्पकाय सात लाख तेउकाय, सात लाख वाउकाय, दस लाख प्रत्येक वनस्पती काय, चौदलाख साधारण वनस्पती काय, बे लाख बेइंद्री, बे लाख तेइंद्री, बे लाख चौरिंद्री नारकीनी चार लाख योनी, चार लाख तिर्यंच पंचेंद्री नी, चार लाख देवता नी, चौद लाख मनुष्य नी ए चौरासी लाख जीवा योनी थई ।
॥ हवे अठ्ठावीसमें कुल कोटि द्वार कहे छे॥ . नारकीनी पचीस लाख कुल कोटी, देवतानी छबीसलाख कुल कोटी, पृथ्वीनी बार लाख कुल कोठी, पाणी नी सात लाख कुल कोटी, अमिनी तीन लाख कुल कोटी, वाउ नी सातलाख कुल कोटी, वनस्पतीनी अठावीस लाख कुल कोटी,