________________
रणसिंहकथा
उपदेशमालाविशेषवृत्तिः
कुमार:-भो भूमिदेव ! अजवि किं किजइ कजउजमो नेव । किं कुमरदक्खिणाए विणा पसिज्झेइ झाणकला ॥ ३४७ ।। कुमार:-मणमप्पिय पुव्वं ते संपइ अप्पावि अप्पिओ एसो। अवराहिं दक्खिणाहिं दिएस ! बज्झाहिं किं सज्झं ॥ ३४८ ॥ विप्रः-तुह पासंमि तुहप्पा अच्छओ विपस्स मज्झ किं तेण । जं मग्गेमि जयाहं तइया तं मज्झ दिजासु ॥ ३४९ ।।
कुमारः-इय एवमत्थु किं वित्थरेण आणेहि झत्ति पाणपियं । अह स दिओ झाणे इव आसोणो जवणिया मज्झे ॥३५०॥ संजीवणोसहि सा दुव्वा दिट्ठिया मए इन्हि । इय रणसोहे जाए हरिसभरुभिन्नरोमंचो ॥ ३५१ ॥ अच्छरियं अच्छरियं आगच्छइ जं मया वि कमलवई । एवं पुरि नरनाहे जाए तईसणुम्माहे ॥ ३५२ ।। कटरि गुणेहिं अणप्पो विप्पो भुवणे वि नेरिसो कोवि । जइ सव्वमिण होही इय हलबोलाउले लोए ॥३५३॥ गयणंगणंमि विज्जाहरीसु करधरियकुसुममालासु । छोडियकन्नोसहिओ स दिओ अभविसु कमलवई ॥ ३५४ ।। अवणीयजवणिया सा पलोइया पुलयपेसलंगेण । रणसीहकुमारेणं सच्चिय एसा पिया नाया ॥ ३५५ ॥ रइरंभरूवरेहाइ गव्वसव्वस्स निस्सरणसरणी । गोरिअभंगुरसोहग्गममाअगंमि अग्गलिया ॥ ३५६ ॥ तुद्वेण लोयपच्चयनिमित्तमुत्तं तओ कुमारेण । भो भो पेक्खह पेक्खह एस पिया मज्झ कमलवई ॥ ३५७ ॥ लायन्नवन्नसोहम्गचंगिमागारमेय मिक्खंता । रयणवई चिन्ता भणंति लोयाई इमं मिलिया ॥ ३५८ ॥ चामीयरस्स पुरओ जारिसिया रीरिया गुरुगुणस्स । कमल
वईए पुरओ रयणवई होइ तारिसिया ॥ ३५९ ॥ ता ठाणे पडिबंधो कओ कुमारेण मुत्तु रयणवई । को सक्करारसन्नू कडुयNI कसायं अहिलसेइ ॥ ३६० ।। तो रन्ना सा न्हविया सव्वालंकारभूसियसरीरा । देवंगभूसणधरा विहिया कप्पदमलयव्व ॥३६१।।
पंचप्पयारभोए तीए सद्धिं स भुंजिउं लग्गो। तेत्तियविओयवासरसंगुणियं सोक्खमणुहवइ ॥ ३६२ ।। पुच्छइ पिए वराओ वडुओ दुहमच्छिही सविहि-पासे । तीए वुत्तो तो सो ओसहिलाभाइबुत्तंतो ॥ ३६३ ।।
accorncomcomcccccccccence
100