________________
उपदेशमालाविशेषवृत्तौ
चेल्लणापाप दोहलः।
॥ ३४४॥
TereCDCCORDCORRECORRECORRECORD
नीसारिओ गओ विमणो । पुण परमासक्खमणोववासमायरइ तत्थेव ॥ ११॥ निरुयसरीरो राया, साराए कयाए जाणइ जहत्थं । बीए वि मासक्खमणमि, खामिउं पत्थइ तहेव ॥ १२ ॥ तह पडिवन्ने पत्ते य, तावसे राउलंमि पारेउं । निवपुत्तुप्पत्तीए, जणो पमोयाऽऽउलो जाओ ।। १३ ।। जाव न जंपइ पुरओ, ठियं पितं कोवि ताव सुविलक्खो। नीहरिओ नीससिउं, ठिओ तहा चेव तवचरणो ॥ १४ ॥ पुणु गंतुं खामिय पत्थिवेण सो पत्थिओ पत्तो य। रायंगणमि घायगखुद्धमि तहा गओ विमुहो ॥ १५ ॥ चिंतेइ तिव्वकोवग्गिसंगिणा माणसेण सो एवं । अज्जवि मइ वरं वहइ, एस एवं विडंबंतो ॥ १६ ॥ एयविडंबणभग्गेणुव्विग्गेणं व तावसवयं मे । गहियं तहावि पुढेि, दुटुप्पा मेल्लइ न मज्झ ॥ १७ ॥ इय तवफलेण ताहं, वहाय एयस्स नूण होहंति । विहियनियाणो जाओ, अप्पिड्ढियवंतरो तो सो ॥ १८ ॥ होऊण तावसो भूवई वि, मरिऊण वंतरो आसि । तो सो पढमं चविऊण, सेणिओ नरवई जाओ ॥ १९ ॥ सेणगजीवो चविऊण, चेल्लणागब्भमागओ समए । गब्भपभावाओ चिल्लणाए चिंता इमा जाया ।। २२० ।। कह सेणियसत्तुमिणं, अच्छीहिं अप्पणो न पेच्छामि । दंतकरवत्तपत्तेण, कह व खंडित्तु खाएमि ॥ २१ ॥ तो सायणपाडणपीडपायडाए वि तीए सो गब्भो। कुसली सत्तममासे, मासे स जणेइ डोहलयं ।। २२ ।। जहा-सिरिसेणियस्स सोणिय-पवावंताणि खामि अंताणि । भु(पु)जइ न.जाव एसो, खिजइ झिज्जए एसा ॥ २३ ॥ सिलिओवमाणसंजाय-सव्वअंगेहिं थूलगब्भव्व । जाया राया पुच्छइ, किं दूमइ देवि ! ते देहे ॥ २४ ॥ अइनिब्बंधपबंधे, निवेण विहिए कहेइ रुयमाणी। जह जाणामि यासा, सरुहिरअंताणि ते खामि ॥ २५ ॥ भणियं रन्ना मा देवि!, खिज्ज अजेव उज्जमं काहं । कहियं रहमि अभयस्स, सो वि समयस्स मंसाणि ॥ २६ ॥ अइसुहुमतयाऽलत्तयरसेण संवग्गियाणि काऊण । सेणियपेट्रोवरिपट्टएण सुसिलिट्रगंठिए ॥ २७ ॥ संजमइ सो विचल्लेइ, चेल्लणापासमाऽऽसणे ठाउं । उट्ठावेइ निसट्टे, कट्टिय कट्टारओ भणइ ।। २८ ॥ पापिये! पेक्खसु मं, पेढे कट्टारएण कट्टितं । काऊण तहा सिक्कार-सारमप्पेइ मंसाणि ॥ २९ ।। लक्खारसेण मीसाई, सावि साएइ सुकय- IN संतोसा । रायपमायं संभाविऊण हच्छं च मुच्छेइ ।। २३० ।। संरोहणोसहीए, रोहिस्सं संपय पहारमिणं । इय धीरिमाए धरि
॥३४४॥