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सिद्धांत
रहस्य
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अने चोथे पोरे बादर अग्निविच्छेद जाशे. ए आरे बेसतां गति पांच अने उतरतां गति चार जाणवी. हवे पांचमो आरो उत्तरीने छट्टो आरो बेससे त्यारे वर्णादिकना अनंत पर्याय हीन थशे. ए आरो २१ हजार वर्षनो जाणवो. एआरो पमपम नामे ते अत्यंत दुःखमां दुःख जाणवु. ए आरे १ हाथनुं देहमान ने २० वर्षनुं आयुष्य; उतरते आरे मूंडा हाथनुं देहमान अने १६ वर्षनुं आयुष्य थशे. ए आराने विषे १ छेवठु संघ० ने १ हुंड संठाण जाणवुं, ए आरे ८ पांसली अने उतरते आरे ४ पांसली जाणवी. ए आराने विषे छ वर्षनी स्त्रीओ गर्भ धारण करसे ते काळा, कुदर्शनीय, रोगी, रीसाल अने घणा केश ने नखवाला घणा बालको प्रसवशे; कृतरीनी परे परीवार भेळो फेरवशे. ए आराने विषे वैताढ्यना बे पडखे गंगा ने सिंधु नदीना तट ( कांठा) चार चार छे. ते एकेक तटमां नव नव बिल छे, एकंदर गणतां ७२ बिल थाय. तेमां बीजमात्र मनुष्यो अने तिर्यंचो रहेशे. गंगा-सिंधुनो ६२॥ योजननो पोहोट छे, तेमां गाडानी धुरीबूडे एटलं उंड पाणी रहेशे; तेमां | मच्छ वगेरे घणा थशे. ७२ बिलना मनुष्यो सांझे ने प्रभाते मच्छादिकने काढीने वेळुमां भारसे, सूर्य घणो तपशे अने दाढ घणी पडशे तेथी ते सीझवाइ जशे; तेनो आहार करशे. ते मच्छाविकना हाडका वगेरेने तिर्यंचो चाटीने रहेशे. माणसनी तुंबडीमां पाणी लावीने पीशे, वली ते निर्लज्ज, वस्त्र रहित, कठोर भाषी, पिता पुत्री स्त्री माता अने बहेन वगेरेना विवेक रहित मनुष्यो, तिर्यंचोना जेवा थाशे तथा नवकार रहित, समकित रहित अने व्रत - पञ्चक्खाण रहित जे जीव, हशे ते आ आरामां अवतरशे. आवी रीते दुःखमय एकवीश
छआरानो विचार
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