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सिद्धांत
रहस्य
पुण्यतत्व ॥१२॥
॥१५॥
२गंध, ५ रस,५संटाण अने ८ स्पर्श. एवं यीशने पांच वर्णधी गुणतां एकशो थाय. हवे वे गंध-सुरभिगंध ने दुरभिगंध. एकेका गंधमां ब्रवीश भेद होय, ते कहे छे:-५ वर्ण, ५ रस,५ संठाण अने आठ स्पर्श. एवं ब्रेवीश ने बे गंधथी गुणतां ४६ थाय. हवे पांच रस-१ तीखो, २ कडवो, ३ कसायेलो, ४ खाटो, ने ५ मीठो. एकेका | रसमां वीश भेद होय ते ५ वर्ण, २ गंध, ५ संठाण अने ८ स्पर्श. एवं बीशने पांच रमथी गुणतां एकसो थाय. हवे पांच संठाण-१ परिमंडल सं०२ वृत्त सं०, ३ त्र्यंश सं०,४ चउरंश सं०५ आयत संठाण.एकेका संठाणमां वीश भेद होय ते ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस, अने ८ स्पर्श. एवं वीश ने पांच संठाणथी गुणतां एकसो थाय. हवे आठ स्पर्श-, कर्कश, २ सुंहालो, ३ भारी, ४ हलको, ५ टाढो, ६ उनो, ७ लखो, ८ चीकणो. एकेका स्पर्शमां त्रेवीश भेद होय-पांच वर्ण, बे गंध, पांच रस, पांच संठाण,छ स्पर्श. ए त्रेवीश होय, कारण? कर्कशमां कर्कश ने सुंहालो ए वे वर्जवा; एम बेबे स्पर्श दरेकमां वर्जवा. ए त्रेवीशने आठ स्पर्शथी गुणतां १८४ थाय. ते सर्व | मलीने पांचसो साठ भेद अजीव तत्वना जाणवा. इति अजीव तत्त्व समाप्त.
हवे पुण्य तत्त्व कहे छे:-नव प्रकारे पुण्य उपजे (थाय) ते कहे छे-१ अन्न पुन्ने २पाण पु०,३ लयण पु०,
। मृदु २, गुरू ३, लघु ४, शीत ५, उष्ण ६, लुक्ष , स्निग्ध, ए नाम शुध्ध छे, २ पुग्यना नवकरणोमा कार्यनो उपचार करवाथी पुन्यना पण नव प्रकार कहेल छे. अन्नादिनु दान करवाथी-आपवाथी पुन्य थाय छे. दुःखी दीन अने अनाथ वगेरेने अनुकंपा बुद्धिए आप. | वाथी पुन्य थाय छ, ३ लयण-गृह,