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सिद्धांत
रहस्य 11810011
श्लोक ६०० छे, भावना लो० २००० चूर्णीना १०३६१, टीका मलयगिरिकृत ३३६२५० छे २ वृहदुकल्पसूत्र मू० ० ४७३, अध्य० २४, लघुभाष्य ८०००, बृहद्भाष्य १३०००, चूर्णी १४३२५, टीका क्षेमकीर्तिसूरिकृत ४२००० श्लोक छे. ३ निशोधसूत्र, अध्य० २० मू० श्लो० ८१५, लघुभाष्य - ७४००, बृहद्भाष्य१२०००, चूर्णी २८००० श्लोक छे. ४ महा निशीथसूत्र, मूल-लघुवाचना- ३५००, मध्यमवाचना-४२०० अने | बृहद्बाचना - ४५०० श्लोक छे. ५ दशाश्रुतस्कंधसूत्र, मृ० इलो० १८३५, नियुक्ति - १६८, चूर्णी - २२४५, ६ पंच| कल्पसूत्र, मू० इलो० ११३३, अध्य० - १६, भाष्य ३१२५, चूर्णा- २१३० श्लोक छे. जीतकल्प, मू० इलो० १०८, चूर्णी - १००० भाष्य- ३१२४ अने टीका- १२००० इलोक छे. चार मूलसूत्रोनुमान - १ आवश्यकसूत्र, मू० इलो० १२५, नियुक्ति भद्रबाहुस्वामीकृत श्लो० ३१००, चूर्णी १८०००, बृहट्टीका हरिभद्रसूरिकृत इलो० २२०००, लघुवृत्ति तिलकाचार्यकृत १२३२१, अंचलगच्छाचार्यकृत १२०००, भाष्य- ४००० अने मलधारी हेमचंद्रसूरिकृत द्विपण इलो० ४६०० के विशेषावश्यक, ए मूल आवश्यक सूत्रना विशेष भाष्यरूप छे, तेना इलो० ५०००, लघुवृत्ति १४०००, बृहद्वृत्ति - २८००० अने स्वोपज्ञवृत्ति पण छे. २ दशवैकालिकसूत्र, मू० इलो० ७००, श्रीशय्यं
२ बृहद्रूपनी मलयगिरिकृत टीका हाल उपलब्ध नथी. ३ विशेषावश्यक सूत्र, अतिशय गंभीर अर्थवालु होवाथी ने महाभाष्यना नामथी ओळलाय हे, तेना रचनार श्री जिनभद्रगणी क्षमा श्रमण हे कोटयाचार्यकृत लघुवृत्ति के अने मलधारीकृत वृहद्वृत्ति डे ४ मूलना रचनारे जे मूलनी टीका ( वृत्ति ) करेल होय ते 'स्वोपज्ञ वृत्ति' कडेवाय छे.
सिद्धांत
मानविचार 1129011