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विहा देवा आगया । कण्हे वि निग्गए । तए णं तस्स गोयमस्स कुमारस्स० । जहा मेहे तहा णिग्गए । धम्मं सोचा "जं नवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि। देवाणुप्पिया णं।" एवं जहा मेहे [जाव] अणगारे जाए इरिया5 समिए [जाव]1' इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओ काउं विहगइ । तए णं से गोयमे अण्णया कयाइं अरहओ अरिट्ठणेमिस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जेइ । अहिजित्ता बहूहिं च उत्थ [ जाव ] भावे
माणे विहरइ । ते अरिहा अरि?णेमी अण्णया कयाहं बारव10 ईओ नयरीओ नंदणवणाओ पडिणिक्खमइ, बहिया जणवय
विहारं विहरइ । तए णं से गोयमे अणगारे अण्णया कयाई जेणेव अरहा अरिट्टणेमी तेणेव उवागच्छइ । उवागमित्ता अरहं अरिट्ठणेमिं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ ।
करित्ता वंदइ नमसइ । वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी । 15 " इच्छामि णं भंते ! तुब्मेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं
भिक्खुपडिमं उवसंपजिताणं विहरेत्तए"। एवं जहा खंदओ तहा बारस भिक्खुपडिमाओ फासेइ18 । गुणरयणं पि तवोकम्मं तहेव फासेइ निरवसेसं । जहा खंदओ तहा चिंतेइ।
तहा आपुच्छइ । तहा थेरेहिं सद्धि सेत्तुनं दुरूहइ । मासि20 याए संलेहणाए बारस वरिसाइं परियाए [ जाव ] सिद्धे ॥ [ Sutra. 1]
"एवं खलु जंबू ! समणेणं [जाव ] संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स पढमस्स19 अज्झय
17. E drops इरियासमिते (which all Mss have); emended इरियासमिए. 18. D adds पालेपिति after फासेइ. 19. E पढमवागपढमअज्झयणस्स.