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________________ 129 तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलाओ नयरीओ छत्तपलासयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ । २ बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ। २ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ । एवं वयासी । - " इच्छामि णं भंते तुम्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिम उवसंपजित्ताणं विहरेत्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह । " तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हवे [जाव नमंसित्ता मासिय भिक्खुपडिम उपसंपज्जित्ताणं विहरइ । तए णं से खंदए अणगारे मासियं भिक्खुपडिमं अहामुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं अहासम्म काएण फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ पूरेइ किट्टेइ अणुपालेइ आणाए आराहेइ । संमं काएण फासित्ता [जाव ] आराहित्ता जेगेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ...नमंसित्ता एवं वयासी। ___After this खंदग observes बारम्य भिक्खुपडिमाओ and गुणरयणसंवच्छर तवोकम्म......बहुहिं चउत्थछट्टमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मे हिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं से खंदए अणगारे तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धण्णेणं मंगल्लेणं सस्सिरिएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अद्विचम्माबणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था, जीवं. जीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता वि गिलाइ भासं भासमाणे गिलाइ भासं भासिस्सामीति गिलाइ, से जहा नामए कट्सगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा पत्ततिलभंडसगडिया इ वा एरंडक्टभगडिया इ वा इंगालसगडिया इ वा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससदं गच्छइ ससह चिइ, एवामेव खंदए वि अणगारे ससहं गच्छइ ससई चिट्ठइ उवचिए तवेणं अव
SR No.023493
Book TitleAntagadanuttarovavaiyadasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM C Modi
PublisherGurjar Granth Ratna Karyalay
Publication Year1932
Total Pages354
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size18 MB
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