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________________ त्वमेवं सौन्दर्या ... ... ७७ निरीक्ष्य विद्यु ... ... ताला जाअन्ति | निनान्य ... ... तीर्थान्तरेषु निशासु भास्व तीर्खा भूतेश नीतानामा ... प्रयीमयोऽपि नेरिवोत्पलैः प्रयीमयोऽपि ___ ... ... १०% नो किंचित्कथ दत्वा दर्शन ___ ... ... ८६ न्यश्चत्कुञ्चित दन्तप्रभा ... ... ५१ पथि पथि ... दामोदरकरा परहिअअं ... दारुणः काष्ठतो परिच्छेदातीतः दासे कृता ... ... २५ पर्यको राज ... दाहोऽम्भः पशुपतिरपि ... ... दिदृक्षवः ... ... ४८ पश्यत्सूद्रत ... दिवमप्युप पश्यन्ती त्रपयेव दुर्वाराः स्मर ... ... ६१ पश्यामः किमियं दूराकर्षण ... ... १०५ पाण्ड्योऽयमंसा दृशा दग्धं पातालमेत ... देया शिलापट्ट पीयूषप्रसृति देवि तपा ... ... १०७ पृथ्वि स्थिरा दोर्दण्डाञ्चित पुराणि यस्यां धुजनो मृत्युना पुष्पं प्रवालोप द्यामालिलिङ्ग | पूर्णेन्दोः परि द्यौरत्र क्वचि ७८ प्रभामहत्या ... ... धवलोऽसि प्रसरद्विन्दु ... ... धन्याः खलु प्रसपत्तात्पर्य धावत्त्वदश्व | प्रसीदेति ... धृतधनुषि . ... ... ८८ प्राप्याभिषेक ... न तजलं .... ... ८१ प्रायः पथ्य .... नन्वाश्रय प्रासादे सा .... निमेषमपि ... | बाणेन हत्वा निरर्थकं ... | वालश्रणाहं : :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: ::
SR No.023475
Book TitleAlankar Sarvasvam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurinath Pathak
PublisherSharda Bhavan
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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