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________________ ४८ ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण होकर उक्ति में चमत्कार लाता है। चन्द्रमा की शीतल किरणों का तापदायक होना विशेष स्थिति में असिद्ध नहीं है। अतः विरोध अलङ्कार में विरुद्ध क्रिया का कथन आपाततः ही विरोधी लगता है। परिस्थिति के अनुरोध से विरोध का शमन हो जाने से विरोध तात्त्विक नहीं रह जाता। भरत ने प्राप्त दोषों के शमन में उपपत्ति लक्षण स्वीकार किया है। विरोधालङ्कार में भी विरुद्धक्रिया-कथन से प्राप्त विरुद्धत्व दोष का शमन हो जाने पर ही भावक के चित्त में चमत्कार की सृष्टि होती है। स्पष्ट है कि भरत की उक्त लक्षण-धारणा का तत्त्व लेकर ही भामह ने प्रस्तुत अलङ्कार का सृजन किया है। तुल्ययोगिता प्रस्तुत अलङ्कार में भामह के अनुसार न्यून वस्तु की विशिष्ट वस्तु के साथ गुण की समता की विवक्षा से दोनों में समान कार्यकारित्व वर्णित होता है। उदाहरण में किसी राजा का शेषनाग तथा हिमालय के साथ गुण-साम्य-प्रतिपादन के लिए तीनों को महान, गुरू तथा स्थिर कहा गया है। तीनों में मर्यादा-बद्ध पृथ्वी के धारण की तुल्य क्रिया का उल्लेख हुआ है।३ अभिनवगुप्र के मतानुसार अलङ्कार के साथ सिद्धि लक्षण का योग होने से तुल्ययोगिता अलङ्कार की सृष्टि हुई है। इस लक्षण में बहुतसी प्रसिद्ध वस्तुओं के बीच अप्रसिद्ध वस्तुओं को, अर्थात् बहुत से उपमानों के बीच वर्ण्य वस्तुओं को रखकर उनमें साधारणता की सिद्धि होती है। तुल्योगिता अलङ्कार में भी न्यून का अर्थात् उपमेय का तुल्यक्रिया-कथन से विशिष्ट वस्तु के साथ गुण का साम्य प्रतिपादित होता है। अतः तुल्ययोगिता अलङ्कार तथा सिद्धि लक्षण में कोई तात्त्विक भेद नहीं। तुल्यकार्यक्रियायोग का तत्त्व दीपक अलङ्कार से लिया गया है। उपमेय तथा १. प्राप्तानां यत्र दोषाणां क्रियते शमनं पुनः । सा ज्ञेया ह्य पपत्तिस्तु लक्षणं नाटकाश्रयम् ।। –भरत, ना० शा०, १६, ३५ २. न्यूनस्यापि विशिष्टेन गुणसाम्यविवक्षया। ___तुल्यकार्यक्रियायोगादित्युक्ता तुल्ययोगिता ।।-भामह,काव्यालं०३,२७ ३. द्रष्टव्य-वही, ३, २८ ४. लक्षणयोगादलंकाराणां वैशिष्ट्यमागच्छति तथा हि-..."सिद्धया ___ तुल्ययोगितेति। अभिनव, ना० शा० अ० भा० पृ० ३२१
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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