SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 523
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५०० ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण दोनों में वास्तविक उपमानोपमेय-भाव नहीं रहने पर भी वैवक्षिक उपमानोपमेयसम्बन्ध हो जाता है । इसमें दोनों अर्थ या तो प्राकरणिक रहते हैं या अप्राकरणिक; पर एक का दूसरे के साथ कथन होने से जिसके साथ कथन होता है, वह अप्रधान होकर उपमान में पर्यवसित हो जाता है और जिसका किसी के साथ कथन होता है, वह प्रधान होकर उपमेय-स्थानीय हो जाता है । अभेदाध्यवसाय के कारण यह अलङ्कार अतिशयोक्तिमूलक माना जाता है । सहोक्ति-भेद विश्वनाथ ने सहोक्ति को अतिशयोक्तिमूला मानकर उसके अभेदाध्यवसायमूलक तथा कार्यकारणपौर्वापर्यमूलक भेद माने हैं। अभेदाध्यवसायमूला सहोति श्लेष तथा अश्लेष के आधार पर दो प्रकार की हो जाती है । इस प्रकार उनके मतानुसार सहोक्ति के तीन भेद मान्य हैं। शोभाकर ने तुल्ययोगितामूला सहोक्ति का नया भेद प्रस्तुत किया ।२ क्रिया-सहोक्ति तथा गुण-सहोक्ति के रूप में भी इसके दो भेद कल्पित हुए हैं । रुद्रट की सहोक्ति के दो औपम्यगत तथा दो वास्तवगत प्रकारों का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है । अर्थान्तरन्यास अर्थान्तरन्यास के अलङ्कारत्व का निरूपण सर्वप्रथम भामह ने किया था । परवर्ती काल के प्रायः सभी आचार्यों ने इसका अलङ्कारत्व स्वीकार किया है। इसके स्वरूप में भी अधिक परिवर्तन नहीं हुआ है। इसे सादृश्यमूलक अलङ्कार मानने के प्रश्न पर आचार्यों में दो मत अवश्य रहे हैं । भामह ने अर्थान्तरन्यास की परिभाषा में कहा था कि इसमें एक अर्थ का वर्णन कर उस वर्णित अर्थ से भिन्न किन्तु उससे अनुगत ( सम्बद्ध ) अन्य अर्थ का उपन्यास होता है । 3 अर्थान्तर के न्यास में ही प्रस्तुत अलङ्कार के नामकरण की सार्थकता है । १. द्रष्टव्य, विश्वनाथ का साहित्यद० पृ० ६६२ २. द्रष्टव्य, शोभाकरकृत, अलङ्काररत्नाकर, पृ० ७० ३. उपन्यसनमन्यस्य यदर्थस्योदितादृते । ज्ञयः सोऽर्थान्तरन्यासः पूर्वार्थानुगतो यथा ॥ - भामह, काव्यालं० २,७१
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy