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________________ ४५० ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण वाक्य के आरम्भ, मध्य और अन्त में रहने के आधार पर आदिदीपक, मध्यदीपक तथा अन्तदीपक-इन तीन दीपक भेदों की कल्पना की।' आचार्य दण्डी ने वाक्यों को दीपित करने वाले गुण, जाति, क्रिया तथा द्रव्य के पद के आधार पर दीपक के मुख्य चार भेद स्वीकार कर भामह के आदि, मध्य तथा अन्तदीपक-भेदों को भी स्वीकार किया। इन भेदों के अतिरिक्त मालादीपक, विरुद्धार्थदीपक, एकार्थदीपक तथा श्लिष्टार्थदीपक की भी कल्पना दण्डी ने की। दण्डी की आवृत्ति के अर्थावृत्ति, पदावृत्ति तथा उभयावृत्ति भेद भी तत्त्वतः दीपक के ही भेद हैं। इस तरह दण्डी के द्वारा निरूपित दीपक-भेदों की संख्या पन्द्रह हो जाती है। वे भेद हैं—आदिजातिदीपक, आदिगुणदीपक, आदिक्रियादीपक, आदिद्रव्यदीपक, मध्यजातिदीपक, मध्यक्रियादीपक, अन्तजातिदीपक, अन्तक्रियादीपक, मालादीपक, विरुद्धार्थदीपक, एकार्थदीपक, श्लिष्टार्थदीपक, अर्थावृत्तिदीपक, पदावृत्तिदीपक तथा उभयावृत्तिदीपक ।२ रुद्रट ने क्रियादिदीपक और कारकदीपक-नामक दो मुख्य दीपक-भेदों की कल्पना की तथा उनके आदि, मध्य और अन्तगतत्व के आधार पर तीनतीन उपभेद स्वीकार किये । इस प्रकार तीन प्रकार के क्रिया-दीपक तथा तीन प्रकार के कारक-दीपक स्वीकृत हुए। कुन्तक ने दीपक के दो भेद मानेकेवल-दीपक और पंक्तिसंस्थ-दीपक अर्थात् मालादीपक । पंक्तिसंस्थ के पुनः तीन भेद स्वीकार किये गये हैं।" कुन्तक ने कर्तृपद के निबन्धन के आधार पर दीपक के अनेक भेदों की सम्भावना भी स्वीकार की है। मम्मट, रुय्यक आदि आचार्यों ने क्रियादीपक एवं कारकदीपक भेदों को स्वीकार किया। १. आदिमध्यान्तविषयं त्रिधा दीपकमिष्यते । -भामह, काव्यालं० २,२५ २. द्रष्टव्य, दण्डी, काव्याद० २, ६७-११६ ३. द्रष्टव्य, रुद्रट, काव्यालं० ७, ६४-६५ ४. एकं प्रकाशकं सन्ति भूयांसि भूयसां क्वचित् । . केवलं पंक्तिसंस्थं वा द्विविधं परिदृश्यते ॥ . -कुन्तक, वक्रोक्तिजी० ३, १८ ५. यदपरं पक्तिसंस्थं नाम तत् कारण विध्यात् त्रिप्रकारम् । —वही, वृत्ति, पृ० ४०० ६. .."कर्तृपदनिबन्धनानि दीपकानि बहूनि सम्भवन्तीति । -वही, वृत्ति पृ० ४०३ ७. द्रष्टव्य, मम्मट, काव्यप्र० १० पृ० २५३
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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