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________________ अलङ्कार-धारणा का विकास [ २०१ अर्थगत अलङ्कारों के वर्ग में प्रत्यक्ष, अनुमान आदि छह प्रमाणों एवं वितर्क की अवतारणा का नवीन प्रयास भोज ने किया था । ज्ञान के इन साधनों के अलङ्कारत्व की कल्पना ही केवल नवीन है । इनके स्वरूप का विस्तृत विवेचन दर्शन में हो चुका था । अतः, भोज इनके स्वरूप की उद्भावना का श्रय नहीं पा सकते । वितर्क को सन्देह से अभिन्न मानने का भ्रम नहीं होना चाहिए । सन्देह एवं वितर्क के स्वरूप अलग-अलग हैं । यदि सन्देह, भ्रम आदि की तरह वितर्क या ऊहा को भी अलङ्कार माना जाय तो उसका सन्देह से स्वतन्त्र ही अस्तित्व स्वीकार करना पड़ेगा । भोज ने एक अलङ्कार में उससे मिलते-जुलते स्वभाव वाले कई अलङ्कारों के अन्तर्भावन का भी आयास किया है । अहेतु में रुद्रट की वास्तव वर्गगत कारणमाला का; उत्तर में सार का; विरोध में विषम, असङ्गति, प्रत्यनीक एवं अधिक का; निदर्शन में दृष्टान्त का और मीलित में पिहित, अपिहित, तद्गुण तथा अतद्गुण का समावेश इसका प्रमाण है । इस अन्तर्भावन के मूल में भी 'चौबीस' संख्या के प्रति उनका मोह ही माना जा सकता है । 'सरस्वती - कण्ठाभरण' के उत्तर एवं निदर्शन के स्थान पर शृङ्गारप्रकाश में क्रमशः सार तथा दृष्टान्त नाम पाये जाते हैं । सम्भव नामक नवीन अलङ्कार की कल्पना भोज ने की है, जिसे परवर्ती काल में सम्भावना भी कहा गया है । अर्थगत अलङ्कारों में अधिकांश के लक्षण प्राचीन आचार्यों की मान्यता के अनुरूप ही दिये गये हैं । जाति या स्वभावोक्ति, विभावना, विरोध, परिवृत्ति, निदर्शन, समाहित आदि के स्वरूप की कल्पना भामह, दण्डी आदि की तत्तदलङ्कारविषयक धारणा के आधार पर की गयी है । उत्तर, अन्योन्य, भ्रान्ति, मोलित, स्मृति, भाव आदि का स्वभाव रुद्रट के मतानुसार कल्पित है । प्राचीन आचार्यों के व्यतिरेक के लिए व्यतिरेक के साथ 'भेद' नाम का प्रयोग किया गया है । स्पष्ट है कि भोज ने सम्भव के अतिरिक्त किसी अर्थालङ्कार के स्वरूप की उद्भावना अपनी ओर से नहीं की । उभयालङ्कार-वर्ग के अधिकांश अलङ्कारों के नाम-रूप प्राचीन ही हैं । प्राचीन आक्षेप अलङ्कार के लिए प्रतिषेधति नाम का भी उल्लेख हुआ है ।
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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