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हिन्दी के अन्य आलङ्कारिक
३३८-३५७ कुलपति मिश्र, पदुमन दास, श्रीधर ३४०; सूरति मिश्र, रघुनाथ, रसरूप ३४१; बैरीसाल, जगतसिंह ३४३; गोप, कुमारमणि शास्त्री ३४५; याकूब खाँ, 'रसिक सुमति, सोमनाथ ३४६; गोविन्द, रूपसाहि, रतन कवि ३४७; ऋषिनाथ, जनराज, रामसिंह, सेवादास ३४८; गोकुल, चन्दन, रसिक गोविन्द, उमेद राय ३४६; ब्रह्मदत्त, पद्माकर ३५०; राय शिवप्रसाद, प्रताप साहि, कृष्ण भट्ट ३५१; बलवान सिंह ३५१; ईश्वर कवि, रणधीर सिंह, गिरधरदास ३५२; प्रताप साहि, अमीर दास, निहाल, दामोदर, ग्वाल, कवि दास ३५३ ।
निष्कर्ष ३५४-५७ चतुर्थ अध्याय अलङ्कारों का वर्गीकरण
३५८-९४ वर्गीकरण के आधार ३५८; मिश्रालङ्कार ३६३; शब्दालङ्कार ३६५; अर्थालङ्कार ३६६; रुद्रटकृत वर्गीकरण ३६८; रुय्यककृत वर्गीकरण ३७१; विद्यानाथकृत वर्गीकरण ३७७; हिन्दी-रीतिआचार्यों का वर्गीकरण ३८१-६०; केशवकृत वर्गीकरण ३८१; भिखारीदासकृत वर्गीकरण ३८२।
निष्कर्ष ३९०-९४ पञ्चम अध्याय अलङ्कारों का स्वरूप-विकास
३९५-६५८ यमक ३६८; अनुप्रास ४०४; चित्र ४१०; प्रहेलिका ४१४; वक्रोक्ति ४१६; श्लेष ४१७; पुनरुक्तवदाभास ४२२;
विरोधाभास ४२३ । अर्थालङ्कार
४२६-६५८ उपमा ४२६; रूपक ४३७; दीपक ४४५; अनन्वय ४५१; उपमेयोपमा ४५४; उत्प्रेक्षा ४५६; अपह्न ति ४६५; परिणाम ४६९; व्यतिरेक