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(ख) राजस्थानी हिन्दी ग्रन्थ
१. कान्हड़दे प्रबन्ध, (प्र. ११) : महाकवि पद्मनाभ विरचित, सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी
के द्वारा जालोर दुर्ग के प्रसिद्ध घेरे मादि का वर्णन; सम्पादक • प्रो. के. बी. व्यास (३३+२७५) १९५३ ई.।
मू. १२.२५ २. क्यामखां रासा, (प्र. १३) : कवि जान कृत, फतेहपुर के नवाब अलफखांन तथा राज
पूताने के क्यामखानी मुस्लिम राजपूतों के उद्गम और इतिहास का रोचक वर्णन; सम्पादक - डॉ. दशरथ शर्मा और अगरचन्द भंवरलाल नाहटा (५०+१२८) १९५३ई.
मू. ४.७५ ३. लावा रासा, (ग्र. १४) अपर नाम कूर्मवंशयशप्रकाश, गोपालदान कविया कृत, नरूका
(कछवाहा) राजपूतों और पिंडारी पठानों के बीच हुए पांच युद्धों का समकालीन प्रोजस्वी वर्णन, सम्पादक - श्री महताबचन्द खारेड़, (१६+८६) १९५३ ई.।
मू. ३.७५ ४. बांकीदास री ख्यात, (प्र.२१) बांकीदास कृत, राजस्थान के प्राचीन ऐतिहासिक विवरणों ___का प्रमुख ग्रन्थ; सम्पोदक - श्री नरोत्तमदास स्वामी (६+२१८) १९५६ ई.।
म. ५.५० ५. राजस्थानी साहित्य संग्रह भाग १, (ग्र. २७) राजस्थानी भाषा में रचित प्रतिनिधि गद्य
कथा संग्रह; सम्पादक - श्री नरोत्तमदास स्वामी (१४+५२) १९५७ ई.। मू. २.२५ ६. राजस्थानी साहित्य संग्रह भाग २, (ग्र. ५२) तीन ऐतिहासिक वार्ताएं; बगड़ावत,
प्रतापसिंह महोकमसिंह और वीरमदे सोनगिरा; सम्पादक - पुरुषोत्तमलाल मेनारिया; (२४+१०८) १९६० ई.।
म. २.७५ ७. कवीन्द्र कल्पलता, (प्र. ३४) : मुगल बादशाह शाहजहाँ के समकालीन कवीन्द्राचार्य ____सरस्वती कृत ; सम्पादिका - रानी लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत (७+५५+५) १९५८ ई.
मू. २.०० ८. जुगलविलास, (ग्र. ३२) कुशलगढ़ के महाराजा पृथ्वीसिंहजी अपरनाम कवि पीथल
कृत ; सम्पादिका - रानी लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत, (५+५०) १९२० ई. । मू. १.७५ ६. भगतमाळ, (४३) चारण ब्रह्मदास दादूपंथी कृत; सम्पादक • श्री उदयराज उज्ज्वल (+६४) १९५६ ई.।
मू.१.७५ १०. राजस्थान पुरातत्व मन्दिर के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची भाग १, (प्र. ४२) ई. स.
१९५६ तक संगृहीत ४००० ग्रंथों का वर्गीकृत सूचीपत्र ; सम्पादक - मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य, (२+३०२+२०) १९५६ ई.।
मू. ७.५० ११. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के हस्तलिखित प्रन्थों की सूची, भाग २, (ग्र. ५१),
७८५५ तक के ग्रन्थों का सूची-पत्र ; सम्पादक - श्री गोपालनारायण बहुरा, एम.ए., (२+३६१) १९६० ई.।
मू. १२.००