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________________ ४८८ ] प्रस्तारसंख्या छन्द-नाम १७८३. वनिताभरणम् १८२५. सुभद्रावतरणि: १८८१. विरलाद्धता १८८२. सुविहिता १८८४. उदर्करचिता १८८५, सुवनमालिका १९७२. नगमहिता १६७५. सम्मदवदना १६८२. कुमारगति: २०१६. उदयनमुखी २०२०. रसिकपरिचिता २०२६. व्यायोगवती २०३०. वियोगवती २०३१. संगमवती २०४४. ज्वलिता २०४५. रूपावलिः २०४६. प्रनीचकम् २०४७. भासितसरणिः २२५. २४१. ३७५. ४३६. ४७२. २०४८. कृतकृतिका २३६८. विकलबकुलवल्ली २४०६. निमग्नकीला ३२६५. वासरमणिका ३५०८. श्ररिला उल्काभासः लीलालोल:: कलाधाम वासविलासवती विपन्नकदनम् ७८४. विभा ७५. रसधारा १००६. प्रज्ञामूलम् वृत्त मौक्तिक - पञ्चम परिशिष्ट लक्षण भ भ स स म त त स म सज स य स ज स स स ज स त स ज स स भ भ स भ भ भ स ज न भ स न स न स स त न स त ज न स ज ज न स भ ज न स स न न स त न न स ज न न स भ न न स न न न स न न त त ज त ज त भ स स भ स भ भ भ म त स म ग म भ स म ग भ भ ज म ग भ भ भ म ग न र न म ग सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क न य तय ग न य न य न म भ न य ग १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७; कतिका- १७. १७. १७. १७. १७. त्रयोदशाक्षर - छंद १७. १७. १७; उपवनमालिका- १७. १७; क्रमुकवती - १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७; विपन्नकलनं - १७; विपन्नकवलम् - १७. १७. १७. १७; भद्रा - २२.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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