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________________ ४७६ ] वृत्तमौक्तिक-पञ्चम परिशिष्ट छन्द-नाम लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क प्रस्तार- सख्या १८०. १८१. अनृतनर्म १७; नृतनर्म-१७. १७ १८२. १९०. सभ गल त भ ग ल ज भ ग ल ज न ग ल स म ल ल ज म ल ल भ म ल ल न म ल ल अमरन्दि कुलचारि करञ्जि वृन्तम् शाखोटकि पञ्जरि अप्रीता १६६. १९८. १६६. २००. १७. १७. १७. १७. १७. १७; प्रीता-१७; अतिप्रीता-१७; अलिप्रीता-१७. १७. २०१. २०२. २०४. २१.. २१६. २२०. २३०. २३५. २४१. २४४. २४६. २५०. २५१. २५२. २५३. २५४. २५५. रूपगोस्वामिकृत नन्दाहरणस्तोत्र १७, संभाषा-१७; संभासा-१७. १७. १७. मन्थरि वातुलि संफुल्लकम् भाषा पाकलि प्रमना प्राकतनु प्राखेटम् प्रतिजनि सृतमधु मर चयनम् कुशकम् निरुदम् सिन्धुक् क्षरम् वेशि म य ल ल य य ल ल त य ल ल य र ल ल न र ल ल स स ल ल ज तल ल र ज ल ल म भ ल ल स भ ल ल य न ल ल र न ल ल स न ल ल तन ल ल ज न ल ल भ न ल ल १७. १७. १७, क्षुरं-१७. १७; वेषि-१७. नवाक्षर-छन्द A ७. मेघालोकः वक्त्रम् मायासारी खेलाढयम् तारम् य मम भ मम नयम म सम स सम १७. १०. १७. १७. १०; उदरश्रि-१७; उदरस्रक -१७; उदरास्रक- ७. २५. २८.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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