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________________ ४४६ ] वृत्तमौक्तिक-चतुर्थ परिशिष्ट (ख.) क्रमांक छन्द-नाम लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क पभामा २४१. अच्युतम् नि.न.न.न.स.ज.ज.ग.] १, २४२. मदालसम् [त.भ.य.ज.स.र.न.ग.] १; सितस्तबक-१७; परिस्तबक-१७. २४३. तरुवरवृत्तम् [न.न.न.न.न.न.न.ल.] १, त्रयोविंशाक्षर छन्द २४४. दिव्यानन्दः [म.म.म.म.म.म.म.ग.ग.] १, २४५. सुन्दरिका [स.स.भ.स.त.ज.ज.ल.ग.] १, ६, १२, सुन्दरी-१६. पद्मावतिका [स.स.भ.स.त.ज.ज.ल.ग.] १,१२. २४६. अद्वितनया [न.ज.भ.ज.भ.ज.म.ल.ग.] १, १५, १७; अश्वललितम्-१, २, ३, १३, १७, १८, १९, २०, २२; ललितं ५, १०; हयलीलाङ्गी-७. २४७. मालती [भ.भ.भ.भ.भ.भ.भ.ग.ग.] १; सर्वया १६; मत्तगजेन्द्रः-१७. २४८. मल्लिका [ज.ज.ज.ज.ज.ज.ज.ल.ग.] १; मानवती-१७; मानिनी-१७. २४६. मत्ताक्रीडम् [म.म.त.न.न.न.न.ल.ग] १, १५, १८, १६; मत्ताक्रीडा-२, ५, ६, १०,१३, १७, २०, २२. २५०. कनकवलयम् [न.न.न.न.न.न.न.ल.ल.] १, चतुविशाक्षर छन्द २५१. रामानन्दः [म.म.म.म.म.म.म.म.] १ २५२. दुर्मिलका [स.स.स.स.स.स.स.स.] १, १२; दुर्मिला-२, १६; द्विमिला-१७; सवैया-१६; २५३. किरीटम् [भ.भ.भ.भ.भ.भ.भ.भ.] १, ६, १२, १७; सुभद्रं-१०; सुभद्रकम् ६; सर्वया-१६; मेदुरदन्तं-१७; मेदुरदं १७. २५४. तन्वी [भ.त.न.स.भ.भ.न.यः] १, २, ५, ७, १०, १३, १५, १७, १८, १९, २०, २२. २५५. माधवी [ज.ज.ज.ज.ज.ज.ज.ज.] १; अनामयं-१७. २५६. तरलनयनम् [न.न.न.न.न.न.न.न.] १. पंचविशाक्षर छन्द २५७. कामानन्दः २५८. क्रौञ्चपदा [म.म.म.म.म.म.म.म.ग.] १ [भ.म.स.भ.न.न.न.न.ग.] १, २, ३, ५, ६, १०, १३, १५, १८, १६, २०; क्रौंचपदी-७; कोशपदा-१७; कौञ्चीपदा-२२.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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