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________________ ४४४ ] वृत्तमौक्तिक-चतुर्थ परिशिष्ट (ख.) डितम् क्रमांक छन्द-नाम लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क कोष के अनुसार 'य. त. न. य. य. स.' लक्षण है। २०६. भ्रमरपदम् [भ.र.न.न.न.स.] १, ५, ६, १०, १४, १५. २०७. शार्दूलललितम्[म स.ज.स.त.स.] १, ५, १०, १४, १५, १७. २०८. सुललितम् नि.न.म.त.भ.र.] १, ५, १०. २०६. उपवनकुसुमम् [न न.न.न.न.न.] १, तुमुलकम्-१७. एकोनविंशाक्षर छन्द २१०. नागानन्दः [म.म.म.म.म.म.स.] १, २११. शार्दूलविक्री- [म.स.ज.स.त.त..] १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, १२, १३, १५, १६, १७, १८, १९, २०, २२; शार्दूलसट्टकम्-९. २१२. चन्द्रम् [न.न.न.ज.न.न.ल.] १, १२, १६; चन्द्रमाला-१, ६. २१३. धवलम् न न न.न.न.न.ग.] १, १२, १६, १७, धवला-१, ६. २१४. शम्भुः [स त.य.भ.म.म.ग.] १,६, १२, १६, १७. २१५. मेघविस्फूजिता [य.म.न.स.र.र.ग.] १, १०, १४, १५, १८, १६; विस्मिता २; सुवृत्ता-४; रम्भा-५, ११, १६; चन्द्रकान्ता-७. २१६. छाया [य.म.न स.त त.ग.] १, ५, १० १४, १५, १७. २१७. सुरसा [म.र.भ.न.य.न.ग.) १,१५, १७. २१८. फुल्लदाम [म.त.न.स.र.र.ग.] १, १५, १७; पुष्पदाम-५, १०, १४. २१६. मृदुलकुसुमम् [न.न.न.न.न.न.ल.] १, विशाक्षर छन्द २२०, योगानन्दः [म.म.म.म.म.म.रा.ग.] १, २२१. गीतिका [स.ज.ज.भ.र.स.ल.ग.] १, १२, १५, १७; गीता-६; हरिगीतम् २२२. गण्डका [र.ज.र.ज.र.ज.ग.ल. १, ६, १२, १७; चित्तवृत्तम्-१; चित्रं--६; वृत्तम्-१, २, १०. १४, १५, १८, १६, २२; मुण्डकं-१६; ईदृशं-१७; मादृशं१७. १, ५, १०, १४, १५, १७. १, २, ३, ४, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १९, २०, वृत्तम्-७; २२ के अनुसार 'म.र.भ.न.य.भ.ल.ल.' लक्षण है। २२३. शोभा २२४. सुवदना [य.म.न.न.त.त.ग.ग.] [म.र.भ.न.य.भ.ल.ग.]
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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