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क्रमांक
छन्द-नाम
१६४. चित्रा
१६१. निशिपालकम् [भ. ज.स.न.र. ] १६२. विपिनतिलकम् [ न.स. न. र. र. ] १६३. चन्द्रलेखा ( म.र.म.य.य.]
१६५. केसरम्
१६६. एला १६७. प्रिया
१६८. उत्सव:
१६६. उडुगणम्
१७०. रामः
वर्णिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद
लक्षण
१७३. चञ्चला
[म. म. म.य.य.]
[न.ज. भ.ज.र.]
[स.ज.न.न.य.] [ न.न. त.भ.र. ]
[र.न.भ.भ.र. ]
[न.न.न.न.न.]
[म. म. म. म.म.ग.]
१७१. पञ्चचामरम् [ज.र.ज.र.ज.ग.]
१७२. नीलम्
[भ.भ.भ.भ.भ.ग्र.]
[र.ज.र.ज.र.ल.]
१७४. मदनललिता [म.भ.न.म.न.य ]
षोडषाक्षर छन्द
[ ४४१
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क
१८. १६, २०, २२; त्रक् - १, ११, १३, १५, १७, १८, १६; चन्द्रावर्ता - २, ११, २२; माला - २, १९, २०, २२; मणिनिकर१७; रुचिरा - १६; चन्द्रवर्मा - २०.
१, ६, १२, १६, १७.
१, १५, १७.
१, ६, १०, १३, १५, १७; चण्डलेखा - १ ; ७, १०, १४ में 'र. र. म. य. य' और १६ में ' र. र. त.त.म.' लक्षण है ।
१, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८; चित्रम् - १, मण्डुकी - ११. १८, १६; चञ्चला
११.
१ प्रभद्रकम् - ६, १०, १३, १७, सुकेसरम् - १४, १६.
१, १०, १३, १७, १६.
१; उपमालिनी-६, १०; रूपमालिनी- १४ १; सुन्दरम् - १०; मणिभूषणं - ११, १६; रमणीयं - ११, १६; नूतनं -१७; सृक्कणं१७.
१, शरहतिः - १७.
१; ब्रह्मरूपकम् - १, ६, १६; ब्रह्मरूपम् - १५; ब्रह्म - १२, १७; कामुकी - १०; चन्द्रापीडम् -
१७.
१, ५, ६, १०, १४, १५, १६; नराचम्१, ६, १२, १४, १५, १६, १७. १, ६, १२, १६, १७; अश्वगति: - ६, १४, १५; सङ्गतम् - १०; पद्ममुखी - ११, १६; सुरता - ११, सद्यमुद्धरणं - ११; सोपानकं११ ; रवगति: - १७; विशेषिका - १७. १, ६, १२, १६, १७; चित्रसंज्ञं - १, १४, १५; चित्रं - ५, ६, १७; चित्रशोभा - ५ ; १, १०, १५, १७, मदनललितं - ५.