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________________ क्रमांक छन्द-नाम लक्षण १०१. द्रुतविलम्बितम् [न.भ.भ.र. ] वर्णिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद १०२. वंशस्थविला [ ज.त. ज. र. ] १०३. इन्द्रवंशा १०४. उपजाति [त.त ज.र.] [वंशस्थविला - इन्द्र वंशा मिश्रा ]. १०५. जलोद्धतगतिः [ ज. स. ज. स. ] १०६. वैश्वदेवो [ म.म.य.य.] १०७. मन्दाकिनी [न न. र. र. ] १०८. कुसुमविचित्रा [न. य. न.य.] १०६. तामरसम् [ न.ज.ज.य.] ११०. मालती [न.ज.ज.र. ] १११. मणिमाला [त.य.त.य.] ११२. जलधरमाला [म.भ.स.म.] ११३. प्रियम्वदा [न.भ.ज. र. ] ११४. ललिता [त. भ.ज. र. ] [भ.त. न.स.] ११५. ललितम् [ ४३७ सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्क ेताङ्क १, २, ६, ७, ८, १०, १३, १५, १७, १८, १६, २०, २२; हरिणप्लुतम् - ३, ११. १; वंशस्थविलम् - १, १५, १७; वंशस्तनितम् - १; वंशस्थम् - ३, ६, ७, ८, १०, १३, १६, १७, १८, १६, २२; वंशस्था२, २०; वसन्तमञ्जरी-७, ११; अभ्रवंशा - ११. १, २, ४, ६, १०, १३, १५, १६, १७, १८, १९, २०, २२; इन्दुवंशा-१७, वीरासिका - १७. १, १७; करम्बजाति - १६; कुलालचक्रम् - १६; वंशमालिका - १६; वंशमाला - २०. १, २, १०, १३, १५, १७, १८, १६, २०, २२. १, २, ४, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १६, २०, २२; चन्द्रलेखा - ३. १, १५, १७; गौरी -२; प्रभा-१, १७. १, २, १०, १३, १५, १७, २२; मदनविकारा - ११; गजलुलितम् - ११; गजललिता - १६. १, ६, १०, १३, १५, १७; ललितपदा४, १६; कमलविलासिनी-११. १, ४, ६, १०, १३, १५, १७; वरतनु- २, ११, १४, १६; यमुना - १. १, ६, ११, १३, १५, १७, १६; श्रब्जविचित्रा - १९; पुष्पविचित्रा - १०, १८. १, २, १०, १३, १४, १५, १७, १८. १६; कान्तोत्पीडा - २, ११; सौदामिनी - २२ १, ६, १०, १३, १५; प्रियम्वदः - १७; मत्तकोकिला - ११. १, १०, १३, १५, १७; सुललिता - १. १; ललना - १, २, १०; वोरणमाला - १७; रति - १६.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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