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द्वितीय परिशिष्ट
[ ३७७
वत्तनाम
पृष्ठ संख्या
वृत्तनाम
पृष्ठ संख्या
५४
श्येन: श्वा
विषमितागलितकम् वीर वैताल व्याघ्रः
.२३
षट्पदम्
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शक्रः
शङ्कः शब्द
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सङ्गलितकम्
" अपरम् समगलितकम् समगलितकमपरम समरः (काव्य)
" (षट्पद) सरित् सर्पः सहस्रनेत्रः
शम्भुः (रोला)
, (काव्य) शरः (स्कन्धक)
" (षट्पद) शरभः (दोहा) " (स्कन्धक) , (काव्य) शरभः (षट्पद
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सहस्राक्ष
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शल्य:
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शशी (स्कन्धक)
, (षट्पद) शारद: शार्दूलः (दोहा)
" (षट्पद) शिखा शिव
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सारंगः (स्कन्धक) ,, (षट्पद) सारस सारसी सिद्धिः (गाथा)
" (षट्पद) सिंहः (काव्य)
, (षट्पद) सिंहविलोकित सिहिनी सिंही (टि.) सुभुल्लन (टि.) सुन्दरगलितकम्
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शुद्ध: शुनक:
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सुशर
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शुभङ्करः शेखरः (स्कन्धक)
" (षट्पद) शेषः (रोला) " (स्कन्धक)
(काव्य)
(षट्पद) शोभा
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सुहीरम् (टि.) सूर्यः (काव्य)
, (षट्पद) सोरठा
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