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________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला वृत्तमौक्तिक -श्रीमपनमः श्रीशानावनाः बिरोदिवाझंगाजलसवकलालालकमला पलवाड़ा दाडाहमा विधयान्पारचयता जरायोजष्टायां हिरवंदनेनाथरभसाइदश्रु गोरीशानण्यातमन ।। भनिकरम निमशिवाय मात्रानान्युकाकोतहलाफणा उप्रणितानिअथवशी कृती वछिन्दांसि कथयतिस्फुटता याग सानी था श्रीमीमपान श्रीयर लहरि यथा शमकुरुतः २यिकाक्षरेर अपहासरे तत्रकामा गोचाका नागकिमयाबिन्देका किलीप्लम कामः अषमही लगो-मही िददत्यहाक्सारमापतानमाक्ततामहा अयमानी राम लोयासारामनाक्याकिंस कालानोभिवातारवयामधुःहिलहातामधुरितितक्यामतिमद पिंगलवा चशेष योनिधितोपामापतिपिंगतरमा श्रीमल्लक्ष्मीनाथंसकलागमपारगंवन्दाया 7. निदिवंसतनविनयापपत्तेत्रीचरवारवर कोकिलतत्पबंधाविछदमायड़ वितहचसेवसाईलीलतश्चसहिजीवनहेतवेऽस्यावाश्रीरत्नक्तिकमिदन क्ष्मीनाथनप्तरितंयन्नाताजीयादाचंभाजीचातुजीवलोकस्या इत्यो १wn लमरिक चकेचूडामछिंदवशास्त्रेपरमाचार्यसकलापनिषदुरुस्पारमवा नाकर्णधारधीलक्ष्मीनाथमहात्मजकविशोरवरश्रीचन्द्रशोरवरविरचित श्रीरतमाक्रिपिङ्गलबानिकवीरतारवाहितीय परिछदःशासमातम्या "रामः॥ । युवतिकहितीयवएडा ग्रंथसंरयापरवंडच्या मुन्नमस्त।' ९०१॥ अनूप संस्कृत लायब्ररी, बीकानेर से प्राप्त द्वितीय खण्ड, क. संज्ञक प्रति के प्रथम पत्र और ख. संज्ञक प्रति के अन्तिम पत्र की प्रतिकृति
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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