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________________ भूमिका [८१ " कृष्णकुतूहल-महाकाव्य रामचन्द्र भट्ट १०५,१०७ आदि दशावतारस्तोत्र १२६ नन्दनन्दनाष्टक लक्ष्मीनाथ भट्ट १४४ नारायणाष्टक रामचन्द्र भट्ट १६७ पवनदूतम् चन्द्रशेखर भट्ट १३६ पाण्डवचरित-महाकाव्य ६२,१२१ प्रादि शिको-काव्य १५६ शिवस्तुति लक्ष्मीनाथ भट्ट ४५ सुन्दरीध्यानाष्टक __ इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे स्थल हैं जिनमें केवल ग्रन्थकार के नाम हैं और वर्ण्य विषय का संकेत है किन्तु उनके ग्रन्थों का कोई उल्लेख नहीं मिलता। १ राक्षसकवि दक्षिणानिलवर्णन १५३ २ लक्ष्मीनाथभट्ट खङ्गवर्णन १६० देवीस्तुति शम्भू छन्दःशास्त्र १०६,१३६,१९७आदि वृत्तरत्नाकर-नारायणी-टीका में (पृ. १४५) पर शम्भु-प्रणीत छन्दश्चूडामणि ग्रन्थ का उल्लेख है । संभवत: यही शम्भु हों ! किन्तु ग्रन्थ अप्राप्त है। मालती छन्द का प्रत्युदाहरण देते हुये भारवि रचित निम्न पद्य दिया है अयि विजहीहि दृढोपगूहनं, त्यज नवसङ्गमभीरु वल्लभम् । अरुणकरोद्गम एष वर्तते, वरतनु सम्प्रवदन्ति कुक्कुटाः ॥ पृ. १०० ___ इसका उल्लेख छन्दोमञ्जरी (पृ. ५६) में भी है किन्तु भारवि कृत किरातार्जुनीय काव्य (मुद्रित) में यह पद्य प्राप्त नहीं है । अतः भारवि कृत किस ग्रन्थ का यह पद्य है, अन्वेषणीय है। प्रस्तुत संस्करण की विशेषतायें ___ ग्रन्थकार ने प्रस्तुत ग्रन्थ में ६७१ छन्दों के लक्षण एवं उदाहरणों का निरूपण किया है । इन छन्दों के अतिरिक्त मैंने ग्रथान्तरों से पाद-टिप्पणियों में ७७ और पंचम परिशिष्ट में १३८१ छन्दों के लक्षण दिये हैं। अर्थात् इस संकलन में २१२६ छन्दों का दिग्दर्शन है जो कि इस संस्करण की प्रमुख विशेषता है।
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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