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App. II – छन्दः कोशः
उल्लालइ संजुत्त जमगसुद्धउ सलहिज्जइ चउवालसउवि मत्त सुदिढपइपंथ रइज्जइ ।
उल्लालइ संजुत्त लहइ सो निम्मलसोहा तं कुंडलिया छंदु पढम जहि पढियह दोहा ॥ ३१ ॥
सो चंद्रायण छंदु फुडु
fe धुरि दोहा होइ |
अइकोमलु जणमणहरणु बुहियण संसिउ होइ ॥
बुहियह संसियउ सो इ सलहिज्जए कामिणीमोहण पुरउ पाठिज्जए । मत अडवीससउ जेण विरइज्जए सोवि चंदायणो छंदु जाणिज्जए ॥ ३२ ॥
दोहा छंदह तिन्नि पय
पदम सुद्ध पढे ।
पुणवि चउत्थ विगाहपउ वेरालु वितं वियाणे ॥ ३३ ॥
तिहिहिं मत्त पढमु पउ होइ तह तीयउ पंचमड
बी चउत्थु रुय निरुत्तउ । सतसहि विमत्त निरु सुकवि अल्हि राढउ सु उत्तउ ॥
इकु राठउ अरु दूहडउ बिहु मिलि वोह । पणरुत्तरसउ मत्त थिरु
विरलउ बुज्झइ कोइ ॥ ३४ ॥
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यत्र प्रथमं दोहाछन्दः पठ्यते काव्यार्धे निरुक्तं कथितं तत्कुण्डलिकं नाम छन्दः। उल्लालकेन षण्णवतिमात्रामयेण संयुक्तं यमकशुद्धं श्लाघ्यते ॥ ३१ ॥ चतुर्थे च गाथापादलक्षणं पञ्चदशमात्रारूपकं तत् वेरालकं नाम छन्दः ॥ ३३ ॥ एवं सप्तषष्टिमात्राभिः राढकं नाम छन्दः । तथा मात्रा ४८ दोहाछन्दसः । एवं ११५ मात्राभिर्वस्तुच्छन्दः । इति पुरुषनामच्छन्दांसि ॥ ३४ ॥
३१.५ उल्लालयसं B; सुलहिज्जइ B; ६ पयपंथ for पद्मपंथ D; ८ पढिया for पढियइ AC. ३२०४ संसिय for संसिउ B; ५, ८ जाणिज्जए and सलहिज्जए exchange places in D. ३३.२ पढमं for पढमई B; ३ गाहपय B. ३४.३ रुद्द थ for रुद्दय़ D; ५ स उत्तर A; ७ वत्थू for वत्थु वि. B.