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________________ संवृत्तिका कनिदर्पणः . 4.107 4.128 ", . 1.1 2.23.3 12.22 ...4.119 2.3 . 2.32 : 4.47 4:50 . 1.8 4.77 पचिययमिह पढमंमि अठवन्ना पणमिअ अरिहंत पणयजणकप्परुक्ख पद्धडिया टचउक्क पत्थावत्तं समप्पाए पन्नरसकलाहिं पपका टदुगं पमियक्खरा पमुइयवयणा पयमझेवि हु परिकहिया नजा पहप्परं दुण्ह पहरणकलिया पिच्छ पओसि पुरुगुजरमंडली पुव्वपव्वयराय फुलंधुय धावंति बहलंधारपडल बाणा मा जस्सि बाणेहिं मो तो बारस अष्ठेगारस बिंति सुभद्दयनामय बुहयणसंमया भग्गउ अइयारिहिं भण दुगुणवसु भत्तिग दो गुरु भद्दयमुल्लवंति भो जइ ता भो तलगा भो रनना नसा मंदकंता चउहिं मई मिलिउ मन मणि माणसमुद्धय मत्तक्कीला मो मो महिभरसेसह महुमहूसवमुहि मालावित्तं सेस मुणेह वंसत्य मुनि टा गुरु तत्थ 4.40 . : 4.66 22.33.1 2.37.3 2.35.4 2.15.2 2.24.1 4.67 4.64 2.30 4.98 4.91 2:30.4 4.79 4.29 4.94 4.124 4.14 4.86 4.80 2.35.2 2.30.1 4.96 2.30-3 2.28.1 4.103 4.42 2.4 मोगो कन्ना मो तो यो सो मो दो ता गा मो ना छच्चिय जहिं मो नारी मो नो जो पहरण मो नो यो मगर मो मन्विउला मो मो तो नोनो मोरसारणी रजा मो सो गो मयलेहा मो सो जो सतता मो सो सुद्धविराट य गा वीला यया सोमराई रवी लगा कमा रसटा उच्छाहो रसेहिं निद्दिहा रासावलयं पोरो रिउहिं चउहिं रो जरा जरा रो जरा य जो य रो जरा लहू गुरू रो नरा जरनरा रो नरा लहुगुरू रो नसा किर रो मृगी रो रन्विउला रोसगुरुगिरिस वच्चयम्मि एयमेव वत्थुय दोहा दोहय वत्थुवयणाइ उल्लाल वन्नच्छंदे उण वसू लगा पमाणिया वसूहिं पुहवी वाउम्मी मो तह विउला चवला य विरहिणिहियय विसमंमि उवंत विसमाओ लहुयाई 4. 4.59 4.36 4.102 4.3 -4.58 4.21 4.122 4.101 4.23 4.11 4.88 4.24 24.6 4:10 4.53 2.26 4.82 2.25 4.81 4.69 4.113 4.31 4.95 4.27 4.20 4.4 4.125 2.22.3 4.109 2.35 2.33 1.3 4.17 4.83 4.37 2.8 2.37-2 4.111 6.2
SR No.023461
Book Titlekavidarpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1962
Total Pages230
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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