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________________ ७० जउगोलव्व विभि जउ तुह तिहुयण राहु जभा जरा जहि जभा सजा गुरु जय जिणसासण जया यो लगा जल हिनपर गुरु जलद्वयगई हम सहि जहिं वेयया ...हिच्छिया लहूगुरू जाण सत्त कत्थइ जि नर निरग्गल 'जुज्झिय भाउ य जे जम्मद अमुणिय टा चउरो जो ण ढक्कडपडु तं चिय रगणंत तं चैव होइ चवला 'तगणदुगटगण तत्ती सीयली तदुगं टदुगं तरुणीवयदुि - तहा दुण्डपाय तवं नो नविउला तेरस एका रस हिं तेरसकलेहिं पाहिं तेसु समे एगक्खर तो जो जगगत्ति तो यस्स अंतए तो तव्बिउला तो तो जगा गो तो भो वसंत तो यो त मज्झा दलदुगमुहे तिगणजइ • दलि महियल अतेरसहि दीसह सुंड गयाणणि दीहं सबिंदु सवृत्तिकः कविदर्पणः 2.9.1 2.21.2 4.43 4.48 4.60 2.30.2 4.8 4.63 4.55 4.106 4.44 4.108 2.8.7 2.15.1 2.16.1 2.20.1 2.19 2.25.1 5.2 4.120 2.27 2.14.2 2.23 4.87 *5.6 4.123 2.15 2.17 3.3 4.34 4.75 4.127 4.38 4.62 4.9 2.7 2.30.5 2.29 2.30.6 1.4 दुइतुरिए दुइया छट्ठे पढमाउ दुयविलंबिय गुणव दो गा इत्थी दो दो गा दोमाया नेया दोहय घत्ताउ दुई धणु जुवणु धन्नह उद्दाम नंदा तलगा न कलई दुह दुगरक न छमच्छ मंति 'न जजलहू नजरभभा नजुगलर चउक्क नजुगसगण नदुगतरगणा दुमिह पुडो नदुगरगणसत्तयं ननमययगणड्ढा ननरलहुगुरू नयनयबद्धा नरजमा इमा नसयघडिया न सुयइ न हसइ नहि निहालिवि नारायओ तरा लगा नियडि लयहं निगसिज्जंतं विस निच्चुवि नवं निसुह तामरसं णि सिगुरुं मि नेया मत्ताछंदे नो वीर मंडलग्गि • पंचाणणललिया पंचाल लिया पंतिहि वंसपत्त पई पियठाणाउ 2.28 2.5 4.46 2.32.1 4.2 4.13 4.54 2.36 2.34.2 2.22.1 4.7 2.16.2 4.9.7 2.8.5 4.32 4.78 4.85 4.33 4.61 4.57 4.105 4.72 4.30 4.49 4:25 4.22 2.21.1 2.14.3 4.16 2.21.4 2.19.1 2.19.2 4.52 4.117 1.2 2.26.1 2.14 2.14.1 4.84 2.20.2
SR No.023461
Book Titlekavidarpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1962
Total Pages230
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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