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________________ २०० दंष्ट्रा सुपदी सूत्रपदी स्थूणापदी प्रेहिकटा अपेहिवाणिजा कृन्तविचक्षणा | चटका निष्पदी श्वचाण्डालम् अपहिस्वागता कृन्धिविचक्षणा ज्येष्ठा. मुनिपदी स्त्रीकुमारम् अपेहिद्वितीया खादतमोदता विपदी १७.दधिपयादि अपहिकटा खादतवमता देवविशा विष्णुपदी સમૂહુના अपेप्रिघसा खादतचमता पाका शतपदी शम्ही . अवश्यकायाम् छात्रव्यंसक पिण्डफला शकृत्पदी अध्ययनतपसी अनीतपिबता जहिजोड पूोपिहाणा शितिपदी आद्यवसाने अहमहमिका जहिस्तंब पूर्वापहाणा शुचिपदी इध्माबर्हिषी आचपराचम् द्रव्यान्तरम् प्रत्यक्पुष्पा शूलपदी उलूखलमूसले आचोपचम् नखप्रत्वम् प्राक्पुष्पा षट्पदी ऋक्सामे आवपनिष्किरा निश्चप्रचम् प्रान्तपुष्पा दधिपयसी आहरकटा निपत्यरोहिणी बाला दीक्षातपसी आहरचेला निशणश्यामा भत्रफला सूकरपदी परिव्राजककोआहरवसना पचतभृज्जता मन्दा सूचीपदी -शिक आहरवनिता पचप्रकूटा मध्यमा प्रवर्योपसदौ आहरविनता पीत्वास्थिरक मूषिका १६.गवाभ्वादि स- ब्रह्मप्रजापती आहरसेना पुनर्दाय वत्सा મહુના શબ્દો मधुसर्पिषी आहरनिवपा प्रेहिवाणिजा विलाता अजाविकम् मेधातपसी आहरनिष्किरा प्रचलवणा शतपुष्पा अजेंडकम् वाङ्मनसे आहोपुरुषिका प्रेहिद्वितीया शुद्रा अर्जुनशिरीष शिववैश्रवणौ इहपंचमी संफला अर्जुनपुरुषम् शुकुकृष्णौ इहद्वितीया प्रेहिकर्दमा सत्पुष्पा उष्ट्रखरम् श्वद्धातपसी उत्पचविपचा प्रोहकर्दमा होडा तथा उष्ट्रशशम् श्रद्धामेधा उन्मृजावमृजा प्रोष्यप्रापीयान् माना - कुब्जवामनम् सर्पिमधुनि उद्धमचूडा भुक्तवासुहित र्थनां. कुब्जकिरातम् स्कन्दविशाखौ उद्धरोत्सृजा भिन्धिलवणा १५.कुंभपद्यादि स- कुटीकुटम् १८.तिष्ठद्वादि सउद्धरावसृजा मयूरव्यंसक મૂહના શબ્દ. गवाश्वम् મૂહના શ . उद्धमविधमा यवनमुण्ड अपदी गवाविकम् अपरदक्षिणम् उत्पचनिपचा यदृच्छा अष्टापदी अपसमम् उत्पतनिपता विधमचूडा आर्दपदी तृणोपलम् असंप्रति उच्चावचचम् स्नात्वाकालक एकपदी तृणोलपम् आयतीगवम् उच्चनीचम्१४.अजादि सभू- कलशीपदी दर्भशरम् आयतीसमम् उत्पत्यपालका હના શબ્દો. कुंभपदी दर्भपूतिकम् खलेयवम् उज्जहिस्तम्ब अजा कुणिपदी दासीमाणवकम् एहिडंवर्तते अजिनफला कृष्णपदी दासीदासम् एहियवंवर्तते अपरापहाणा गुणपदी पुत्रपौत्रम् दुःषमम् एहिवाणिजाकि अमूला गोधापदी भाववतीभागव- निःषमम् अश्वा जालपदी पापसमम् एहिस्वागता उष्णिहा तृणपदी मांसशोणितम् पुण्यसमम् एहिकटा एकपुष्पा त्रिपदी मूत्रशकृत् पूनयवमू एहिविधसा एडका दासीपदी मूत्रपूरिषम् पूयमानयवम् एहिरेवाहिरा कनिष्ठा द्रोणपदी यकृन्मेदः प्ररथम् कम्बोजमुण्ड काण्ड द्रोणीपदी शाटीपटीरम् प्रमृगम् कान्दिशीकः कोकिला शाटीप्रच्छदम् प्राण्हम् कान्देशीकः क्रुञ्चा , द्विपदी . शाटीपट्टीकम् गवैडकम् खलेबुसम् तिष्ठद्गु द्रुपदी प्रोढम्
SR No.023460
Book TitleSanskrit Bhasha Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakordas Jamnadas Panji
PublisherThakordas Jamnadas Panji
Publication Year1867
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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