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________________ मुंग श्वन दण्डपाणि मह जातदन्त जातश्मश्रू भाण्ड शष्काण्ड किष्कुःप्रमाणम् | गोपालधानीपू- महेला भाण्डल शष्कुल किष्किन्धागुहा -लासम् हस्तिन् शण्ड पारस्करोदेशः चित्रास्वाती १०. गड्डादि समूडभौरिकि शातन रथस्यानदी चित्रस्वाती | नाश हो भौलिकि शिखन्ड जंपती ७. राजदन्तादि सभौलिंगि अस्युदत शूर्प भूलना शही. जायापती गडुकण्ठ मत्स्य जिज्ञास्थि मण्डल अग्रवणम् शृंग दंपती ११.वाहिताग्नि समनुष्य अवन्त्यश्मकम् षाण्डश धर्मार्थों મૂહના શબ્દો अक्षिभ्रुवम् सलद पुत्रपती अवक्लिन्नपक्वम् मठ आहिताग्नि सनंद अर्पितोक्तम् पुत्रपशू मंगल उडभार्य सल्लक पूलासकारण्डम् | गतार्थ मन्थर आरङ्वायनि साल्वक पूलासककुरण्डम् घृतपीत महत् आरग्वायनबंसुषम भार्यापती मातामह -धकी सुषव मधुसर्पिषी जातपुत्र मालक सुमंगल (वि- उक्तगाढम् वैकारिमतम् मालात उलूविलमुसलं શેષનામ वृद्धिगुणौ तैलपीत मुकय चित्ररथबाहेकं वा .) शब्दार्थों मद्यपीत भने मूलाट सुंदर तण्डुलकिण्वं शिरोजानु એએના અमेथ दारगवम् नग्नमुषितम् शिरोबिजु ર્થના જેવાકે शिरोबीजम् मुष्टलश्चितम् अरमुद्यत सर्पिमधुनी यान अस्युद्यत राजदन्तः लिप्तवासितं सिजास्थम् गडकण्ठ सिञ्जाश्वत्थम् विष्वक्सेनार्जुनौ । दण्डपाणिवगेरे सृपाट स्थूलासम् शूद्रायम् १२शाकपार्थिवादि सेचन स्थूलपूलासम् સમૂહના શબ્દો वल्लक सोम सिक्तसमृष्टम् । विकल अजातौज्वलि सौधर्म स्नातकराजानौ ८. हस्त्यादि सभू- उनाशही धर्मादि सभू कुतपसौश्रुत हय अज शाकपार्थिव હના શબ્દ. हरितकी અને એના वृक्ष हरीतकी८. धर्मादि सभूड कटोल અર્થના જેવાકે रजनप.प्रषोदरादि सभ- नाश.. कटोलक कृत्वापकृत हुना शही. अर्थधर्मों कण्डोल क्रयाक्रयिका रिण . . उलूखल अर्थकामौ कण्डोलक गतप्रत्यागत जीमूत अर्थशब्दो कपोत पीतविपीत रेवती (नक्षत्र पिशाच अन्तादी कशिक पुटापुटिका वाय) पृशोत्थान आद्यन्तौ कुसूल फलाफलिका रोहिणी (नक्षत्र पृशोदर उशीरबीजम् कुरुत भुक्तविभुक्त वाय) बलाहक कामार्थों कुद्दाल मानोन्मानिका लवण मयूर गण्डोल यातानुयात 4लोहाण्ड वृसी गाजवाजम् गण्डोलक गेरे. श्मशान गुणवृद्धी गण्ड १मयूरव्यंसकादि शमी पारस्करादि स गोजवाजम् गणिका સમૂહના શબ્દ - भूना शहो. गोपालिधानपूजाल अकिंचन कारस्करोवृक्षः -लासं - अकुतोभयम् litisaliliadianslamfikinila यूष वरी वेतस अश्व. रद केशश्मभू शम शरी शार दासी
SR No.023460
Book TitleSanskrit Bhasha Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakordas Jamnadas Panji
PublisherThakordas Jamnadas Panji
Publication Year1867
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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