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________________ अनुबन्ध: वक्षःस्थलं हार वाक्पूजयालंकृति बालेन कश्चित् विचचार विशालाक्षी विज्ञापयामि ते विद्वन्मानसराजहंस विधृतचिररत्न विराजमानोऽग्र विजेते महानील विलोक्य सुग्रीव वृद्धः पंक्तिरथो वृषभ इति वामदेवो श शीतलरुचिरिव शीलं विद्या सकल शेषायते महीं श्रीमान् कामान् श्रीरामचन्द्रकर श्रीरामचन्द्रस्य गुणा श्रीरामचन्द्रस्य शिरः श्रीराममुद्रे स उपदेशम् स 131 सत्यानुसन्धान 249 सद्भावेङ्गित स दिव्यभूषे 237 16 सदिव्याभरणो 195 सन्तु नाम भुवनेषु 66 सम्पद्यते पुमानेषः 43 समावृता राम 10 142 191 155 सहदिअहणिसाहिं सहदिवसनिशाभिः 81 44 5 238 39 44 समुल्लसच्चन्दन सर्वङ्कष प्रोज्वल सर्वोत्तरो भवत्येष 145 149 सहमरकत राजत् सहसानलसामग्री साकेतपुर्याममले साकेतप्रमदा साकेते ननु पूर्वम् साध्या त्वदर्चा 40 साफल्यायैव 158 सिंहासनमधिष्ठाय सिंहासनम् सिंहासनमुपा रूढे सिंहासनाग्रस्थित सिंहासनारोहिणि 11 सिंहासनासीन 259 29 15 226 234 48 222 132 185 37 225 111 111 109 14 59 58 98 218 98 195 233 235 59 96 95
SR No.023454
Book TitleAlankar Raghavam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYajneshwar Dikshit, T V Sathynarayana
PublisherOriental Research Institute
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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