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________________ अर्थे चोथी स्तुति जाणवी. ॥ ५ ॥ हवे आठ निमित्तनुं १७ द्वार कहे . पावखवणब रियार, वंदणवत्तिा निमित्ता॥ पघयणसुरसरणबं, उसग्गो श्अ निमित्त ॥ ५३॥ शब्दार्थः-पाप खपाववाने अर्थे शरियावहिया पमिकमवीए प्रथम निमित्त, वंदणवत्तियादि निमित्त अने प्रवचनना देवता ना स्मरणने अर्थे कायोत्सर्ग ए सर्व मलीने आठ निमित्त थया. हवे बार हेतुनुं १० मुं द्वार कहे ले. चन तस्स उत्तरीकरण--पमुह सहाश्ा य पण हेन॥ वेयावच्चगरतार, तिन्नि श्अ देन बारसग्गं ॥५४॥ शब्दार्थः-ते पापनो नाश करवा माटे उतरीकरण विगेरे चार जे अने श्रमादिक हेतु पांच . वली वैयावच्चगराणं इत्यादि त्रण हेतु . ए सर्व मली बार हेतु चैत्यवंदनमां थाय बे.॥५॥ हवे सोल आगार- १ए मुं द्वार कहे जे. अन्नत्या बारस, आगरा एवमाश्या चनरो॥ अगणिपणिदि बिंदण, बोदी खोनाइ मकोय ॥५॥ शब्दार्थः-अन्नवादि बार आगार अने एवमादिक चार आगार ते चारमा १ *अग्निनो, २पंचेंजिलेदन, ३ बोधि दोनादिक अने ४ सर्पखंम विगेरे जाणवा. ॥ ५५ ॥ हवे कानसग्गमा त्यजी देवा योग्य १ए दोषनां नामर्नु २० मुं द्वार कहे . घोमगलय खंजाई, मालुचीनिअल सबरिखलिणवहू॥ खंबुत्तर थणसंजय, नमुहंगुलि वायस कवि ॥५॥ शब्दार्थ-अश्व, लता, स्तंज, माल, उधि नियल, शवरि, ...* अमिना जयथी, पंचेंड्रियना बेदनना जयथी, धर्मनी हेलनाथी अने सर्पशना जयथी भूमीने पूंजतो आयो खसे तो कायात्सर्ग लागे नहि...
SR No.023442
Book TitlePrakaranmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Vadhvanwala
PublisherBhogilal Tarachand Shah
Publication Year1909
Total Pages242
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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