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________________ ( ए) सीलानो विचार करयो, पण तेथी थता रोगरूप खोलनो विचार करयो नहि धन मेलवानो विचार करयो, पण मरणनो विचार करयो नहि स्त्रीयोनो विचार करयो, पण नरकनी बेमीनो विचार करयो नहि, ॥२०॥ स्थितनसाधोहदिसाधुटत्तात्, परोपकारान्नयशोर्जितंच ॥ कृतंनतीर्थोधरणादिकृत्यं, मयामुघाहारितमेवजन्म १ शब्दार्थ-म्हारा हृदयमां नत्तम साधुवृत्ति रही नहि तेम में परोपकार माटे यश पण मेलव्यो नहि, वली तीर्थ उकारादि कार्य पण कयुं नहि, तेथी में खरेखर म्हारो जन्म फोगट गु. मावी नाख्यो. ॥१॥ वैराग्यरंगो न गुरूदितेषु. न उर्जनानां वचनेषु शांतिः॥ नाध्यात्मलेशोममकोपिदेव, तार्यःकयंकारमयंजवाब्धिः ॥ शब्दार्थः:-मने गुरुए कहेलां वचनमां वैराग्यरंग न थयो, उर्जनोनां वचनमां शांति पण न थ. वली मने कोइ पण थ ध्यात्म लेश प्रगटयो नहि तेथी हे देव ! म्हाराथी या संसार समुष शी रीते तराय ॥ २५ ॥ पूर्वेनवेकारिमयानपुण्यं,आगामिजन्मन्यपिनोकरिष्ये॥ यदीहशोहंममतेननष्टा, जूतोनवनाविनवत्रयीशः॥२३॥ शब्दार्थ-में पूर्वनवा पुण्य कयुं नथी, थावतानवने विषे पण करीश नहि के, जेथी हुंश्रावो फुःखीरह्योबु,माटेदे शम्हारा नूत, नविष्य अने वर्तमान कालनात्रणे जन्म वृथा नाश पाम्या. किंवामुधादंबहुधासुधाजुक्, पूज्यत्वदग्रेचरितंस्वकीयं ।। जम्पामियस्मातत्रिजगत्स्वरूप-निरूपकस्खंकियदेतदत्रा। शब्दार्य-हे अमृतजोजी! हुं तमारी आगल फोगट म्हा
SR No.023442
Book TitlePrakaranmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Vadhvanwala
PublisherBhogilal Tarachand Shah
Publication Year1909
Total Pages242
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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