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• पुस्तक का नाम
मूल ग्रंथ
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• मूल ग्रंथकार
• नवनिर्मित संस्कृत वार्त्तिक : तत्त्वोपनिषद्
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• मूल ग्रंथ का हस्तादर्शो
के आधार से संशोधन + प.पू. वैराग्यदेशनादक्ष आचार्यदेव संस्कृत वार्त्तिक नवसर्जन - श्रीमद्विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्य प.पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजय कल्याणबोधिसूरीश्वरजी महाराज
+ हिन्दी भावानुवाद
+ संपादन -
संशोधक
विषय
विशेषता
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: तत्त्वोपनिषद्
: इक्कीस द्वात्रिंशिका में से षष्ठी द्वात्रिंशिका
: श्रुतकेवली महातार्किक महान स्तुतिकार प.पू. आचार्यदेव श्रीसिद्धसेनदिवाकरसूरि महाराजा
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: प.पू. विद्वद्वर्य गणिवर्य श्रीयशोविजयजी महाराज
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यथार्थ तत्त्व के अन्वेषण का रहस्य
: अनादि संसारयात्रा को उर्ध्वगति की ओर एक टर्निंग पॉइंट देने वाला एक अद्भुत ग्रंथ, जिसका माध्यस्थ्यपूर्ण अध्ययन विश्व की किसी भी व्यक्ति के लिये सम्यग्दृष्टि की प्राप्ति का बीज बन सकता है, जिसका परिशीलन सफलतापूर्वक विवादो को समाप्त कर सकता है।
• प्रति
: ५००
: १००/
• मूल्य @ श्रीजिनशासन आराधना ट्रस्ट
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