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________________ २४७ ॥ इति महोपाध्याय श्रीकल्याणविजयजीगणि शिष्यमुख्य पंडित श्री लाभविजयगणि शिष्य मुख्य पंडित श्रीजित विजयगणि तच्छिष्पमुख्य पंडित श्रीनयविजयगणी चरणकमलचंचरीकेण पंडित श्रीपद्मविजयगणिसहोदरेण पंडित श्री यशोविजयेन विरचिते अध्यात्मसारप्रकरणे. सप्तमबंधः समाप्तः ॥ ॥ इति श्रीमत्तपागच्छे भट्टारक श्रीविजयसिंहसूरीश्वरं शिष्य पंडित श्रीसत्यविजयणि शिष्य पंडित श्री कर्पूर विजयगणि शिष्य पंडित श्रीक्षमा विजयगणि शिष्य पंडित श्रीयशोविजयगणि शिष्य पंडित श्रीशुभ विजयगणि शिष्य पंडित श्रीवीरविजयगणिभिरध्यात्मसार ग्रंथस्य वार्त्तिकरूपो मुनि कीर्त्तिविजयस्यानुग्रहाया यंटबार्थः कृतः संवत् १८८१ चैत्र शुक्लपक्षे पूर्णिमायामितिश्रेयः ॥
SR No.023433
Book TitleAdhyatmasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay, Veervijay
PublisherAdhyatmagyan Prasarak Mandal
Publication Year1938
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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