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विद्वदर्य पूज्यपाद पन्न्यासजी महाराज!
श्रीसुशीलविजयजी गणिवरश्रीना। H . सदुपदेशथी आ पुस्तक छपाववामा . वराडा (राजस्थान)
निवासी ४ भण्डारी हेमराजजी, छोगालाल, कस्तुरचंद, बाबूलाल, सरेमल, गेनमल, पारसमल,
बेटा पोता हंसराजजीना _ तरफथी रु० ५५१) नी उदार सहाय मली है
ते बद्दल संस्था । पू० सदुपदेशक अने माननीय सहायक बन्नेनो आभार माने छे.
मुद्रकः श्री मस्तूरमल कुम्मट कुम्भट प्रिण्टर्स, घोड़ों का चौक, जोषपुर.
प्रथमावृत्ति : १००० प्रति.