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तस्वबिन्दुः पषी जाणवा. जेम बद्धः पटो जीर्णः बांघेलो पट जूनो, तेमां बांधकुं ते जीवप्रयोगणी अने पट्टनुं जूनुं थर्बु स्वभावथी छे.
१२४ पंचास्तिकायसमयसार नामना दिगंबरीय ग्रंथमां पुद्गलना
छभेद बताव्या छे, १ बादर. २ बादर बादर. ३ बादरसूक्ष्म ४ सूक्ष्मवादर ५ सूक्ष्म ६ सूक्ष्मसूक्ष्म ए छ प्रकारना पुद्गल संसारमा व्यापी रह्याछे.
१२५ ज्ञानावरणीयकर्मनो बंध दशमा गुणठाणा सुधी होय. दर्शना
वरणीयकर्मनो बंध दशमा गुणठाणा सुधी होय, वेदनीय कमेनो बंध तेरमा गुणठाणा सुधी होय, मोहनीयकर्मनो बंध नक्मा गुणठाणा सुधी होय, आयुष्य कर्मनो बंध सातमा गु-. णमणा मुधी होय, नामकर्मनो बंध दशमा गुणठाणा सुधी होय, गोत्रकर्मनो बंध दशमा गुणठाणा सुधी होय. अंतराय कर्मनो बंध दशमा गुगठाणा सुधी होय. ज्ञानादरणीय तथा दर्शनावरणीय तथा अंतरायकर्म ए त्रग कर्मनो उदय बारमा गुणठाणा सुधी होय. वेदनीय कर्मनो उदय चउदमा गुणठाणा सुधी होय, मोहनीयकर्मनो उदय दशमा गुणठाणा सुधी. होय, आयुष्यकर्मनो उदय चउदमा गुणठाणा सुधी होय. नामकर्मनो उदय चउदमा गुगठाणा सुधी होय, गोत्रकर्मनो उदय "उदमा गुणठाणा सुधी होय. अंतरायकर्मनो उदय बारमा गुणधमा सुधी होय, ज्ञानावरणीय तथा दर्शनावरणीय तथा