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________________ (१४) तत्वविन्दु. - नजबोजोइए; पण उंचोउछळेछेमाटे एकांते गुरुता अधोगति कारणनथी. तेमज लघुता एकांत ऊर्ध्वगतिकारणनथी. तेथकी जणावेछे. विरियं गुरुलहुयाणं, जहाहियं गइविवज्जयं कुणइ ॥ तहगइ ठिइ परिणामो, गुरुलहुयाओ बिलंघेइ ॥१॥ यथोक्त न्यायवडे देवादिगत वीर्य गुरुलघु वस्तुओना गमननो विपर्यय करेछे. देवता पर्वतने उंचो उछाळेछे. बाष्प उंची जती होयछे तोपण करताडनादि वीर्यथी नीची जायछे. ते - माटे एकांते अधोगति निबंधन गुरुता नथी. तेमज ऊर्ध्वगति ... निबंधन लघुता नथी. तो शामाटे अधोगत्यादि सिद्धिअर्थ .: गुरुलघुआदि चतुष्टय मानवा जोइए ? अर्थात् न मानवा जोइए. : माटे आज परिभाषा युक्तिमतीछे. बादरवस्तु गुरुलघुछे. अने शेष सूक्ष्मवस्तु अने अमूर्त सर्ववस्तु अगुरुलघुछे. इति निश्चयनय . कथनम्. ६१६ मनोवर्गणाने देखतो छतो अवधिज्ञानी क्षेत्रथी लोकना संख्या तमा भागने देखे. कालथी पल्योपमना संख्यातमा भागने "देखे. कर्मवर्गणा द्रव्यने देखतो छतो अवधिज्ञानी क्षेत्रथी लो कना संख्यातमा भागोने देखे. अने कालथी पल्योपमना • संख्यात भागोने देखे. (वि)
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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